धर्मांतरण के मुद्दे पर गुमला बिशप हाउस ने सरकार को आड़े हाथ लिया

गुमला : धर्मांतरण के मुद्दे पर गुमला बिशप हाउस ने सरकार को आड़े हाथ लिया है. बिशप हाउस के प्रवक्ता ने कहा है कि आजकल धर्मांतरण पर खूब बहस हो रही है. सारा दोष ईसाइयों पर मढ़ा जा रहा है. लेकिन, झारखंड के ईसाई आदिवासी जानते हैं कि चर्च ने ऐसा कुछ नहीं किया है, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 23, 2017 1:04 AM

गुमला : धर्मांतरण के मुद्दे पर गुमला बिशप हाउस ने सरकार को आड़े हाथ लिया है. बिशप हाउस के प्रवक्ता ने कहा है कि आजकल धर्मांतरण पर खूब बहस हो रही है. सारा दोष ईसाइयों पर मढ़ा जा रहा है. लेकिन, झारखंड के ईसाई आदिवासी जानते हैं कि चर्च ने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिसके लिए उन्हें दोषी माना जाये.

गुमला बिशप हाउस के प्रवक्ता सह विकर जनरल फादर सीप्रियन कुल्लू ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि चर्च ने आदिवासियों के उत्थान के लिए बहुत सराहनीय काम किये हैं. 100 साल पहले छोटानागपुर में आदिवासियों की बहुत दयनीय स्थिति थी. सुदूर गांवों में गरीबी, अशिक्षा, बीमारी व अंधविश्वास में जी रहे थे आदिवासी. सरकारी तंत्र इन लोगों तक नहीं पहुंचती थी.

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जहां कभी सरकार नहीं पहुंची, वहां ईसाई मिशनरियां पहुंचीं. हमने शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक चेतना लाकर लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में अपना योगदान दिया. कुछ जमींदारों व दबंगों की अब नहीं चलती. चूंकि आदिवासी अब मूक गाय नहीं रह गये हैं, अब बोलने लगे हैं, शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने लगे हैं, इससे दबंगों को तकलीफ हो रही है.

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आदिवासी आवाज को दबाने का षड्यंत्र खोजा जाने लगा. अनुच्छेद 28 में कुछ शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता है. इसी संवैधानिक प्रावधान के तहत ईसाई भी अपने धर्म को मानते है़ं, आचरण करते हैं और प्रचार करते हैं. वे कोई असंवैधानिक कार्य नहीं कर रहे हैं.

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फादर कुल्लू ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि असंवैधानिक कार्य हो रहा है, तो पहले से इसके लिए कानून है. सरकार उन कानूनों का प्रयोग क्यों नहीं करती. दरअसल, सरकार के पास जबरन या प्रलोभन धर्मांतरण का सबूत नहीं है. भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष और स्वतंत्र देश में जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण कितना संभव है. ईसाइयों पर आरोप लगता है कि वे भोले-भाले लोगों का जबरन धर्मांतरण कराते हैं. लेकिन, हमारी जानकारी में अब तक एक भी सबूत नहीं है.

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