रमजान उल मुबारक के मौके पर दूसरों के जज्बात का रखें ख्याल : उलेमा
रमजान उल मुबारक के तीसरे जुम्मे की नमाज अदा करने मस्जिद में जुटी लोगों की भीड़
महागामा प्रखंड के विभिन्न मस्जिदों में रमजान उल मुबारक के तीसरे जुम्मे की नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में लोगों की भीड़ जुटी रही. उलेमाओं ने लोगों से रमजान उल मुबारक के मौके पर दूसरों के जज्बात का ख्याल रखने की बात कही. जुम्मे की नमाज को लेकर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उल्लास का माहौल देखा गया. रमजान का 20 रोजा मुकम्मल हो चुका है. रोजा के दौरान लोग अपना पूरा समय इबादत में लगा रहे हैं. इस दौरान लोगों ने कुरान की तिलावत के अलावा नमाज, तस्बीहात व अन्य इबादतों में अपना पूरा समय लगा रखा है. जामा मस्जिद के मौलाना अरसद ने जुम्मे की नमाज के पहले लोगों को मुखातिब होते हुए रमजान में अधिक से अधिक इबादत करने की बात कही.
रहमतों और सब्र का महीना है रमजान : मुफ्ती इम्तियाज
दुनिया भर में इमान वाले रमजान का बेसब्री से इंतजार करते हैं. खुदा की तरफ से बंदों के लिए रमजान का महीना बख्शीश का तोहफा है. इस मुबारक महीने में अल्लाह गुनाहगार बंदों को पूरा मौका देता है कि वह तौबा करके नेकी के रास्ते पर चले और अल्लाह के करीब तर बंदों में उसका शुमार हो जाये. उक्त बातें मस्जिद-ए-अक्सा में मुफ्ती नसीम साहब ने जुम्मे में अपनी तकरीर में कही. उन्होंने कहा कि रोजे में झूठ, गीबत, धोखा, फरेब और लड़ाई-झगड़ा सबसे पूरी तरह परहेज करने का एहतेमाम करना चाहिए. अगर रोजा रखकर भी इंसान हराम खाना खाये, तो फिर उसका रोजा अल्लाह के बारगाह में कबूल नहीं होता है. इसलिए हमें हर बुरी बातों से बचना है. तकबे की दौलत रोजे के जरिये से जिंदगी में पैदा करना है. तकबा यानि परहेजगारी दिल की उस कैफियत को कहते हैं कि इंसान तन्हाई में भी गुनाह और बुराई से बचने वाला इंसान बन जाये. रमजान रहमतों और सब्र का महीना है. इसमें ईमान वालों की रोजी बढ़ा दी जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
