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गिरिडीह के पारसनाथ में देखिए बदलाव, कभी बुनियादी सुविधाओं का था अभाव, अब हुआ चहुंमुखी विकास, जानें कैसे

जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गिरिडीह के पारसनाथ स्थित शिखरजी और मधुबन में कभी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव था, लेकिन अब चहुंमुखी विकास हुआ है. बुनियादी सुविधाएं बहाल हुई हैं. वहीं यात्रियों और पर्यटकों को पारसनाथ मंदिर तक आने के कई सुगम उपाय किये गये हैं.

Jharkhand News: एक दशक पूर्व तक जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल शिखरजी और मधुबन में बुनियादी सुविधाओं का अभाव था. इसके कारण बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को काफी परेशानी हो रही थी. लोग समस्या झेलते- झेलते मायूस हो जाते थे, लेकिन पिछले सात-आठ वर्षों में यहां काफी बदलाव हुआ है. बदलाव का सिलसिला अब भी जारी है. पार्श्वनाथ पर्वत के तलहट्टी में बसा है मधुबन, जहां तीर्थ यात्री पर्वत की वंदना और उपासना के बाद यहां ठहरते हैं. मधुबन में कुछ वर्ष पूर्व तक तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को न्यूनतम बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल पाती थी. फलस्वरूप उनकी शिखर जी की यात्रा कष्टमय हो जाती थी. लेकिन अब बिजली, पानी, सड़क और सुरक्षा जैसी बुनियादी समस्या काफी हद तक दूर हुई है.

18 से 20 घंटे मिलती है बिजली

यात्री श्री सम्मेद शिखरजी की यात्रा पर आते हैं, वे कष्ट सहते हुए पर्वत की वंदना तो करते हैं, पर वापस लौट कर मधुबन में ही आराम कर विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. पूर्व में बिजली की लचर व्यवस्था से धर्मशाला संचालक परेशान होते थे, वहीं यात्रियों का भी कष्ट और बढ़ जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बिजली आपूर्ति व्यवस्था में काफी सुधार हुआ. नये पोल एवं तार लगाये गये. संबंधित प्रखंड के लिए अलग पावर सब स्टेशन बनाकर मधुबन क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति की जा रही है. पूर्व में खपत के अनुसार, मधुबन को बिजली नहीं मिल पाती थी, पर अब पिछले कुछ वर्षों से पर्याप्त मात्रा बिजली की आपूर्ति की जा रही है. मधुबन में आठ से 10 घंटे के बदले अब 18 से 20 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है.

बराकर से मधुबन में की जा रही जलापूर्ति

मधुबन में पानी की गंभीर समस्या थी. पहले कूप और बोरिंग पर लोग निर्भर थे. अब सरकार की पहल से बराकर नदी का पानी मधुबन में पहुंचाया जा रहा है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने बराकर जलापूर्ति योजना की शुरू की है. इससे लोगों को काफी राहत मिली है. हालांकि, पिछले चार माह से मोटर खराब रहने के कारण मधुबन के लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. स्थानीय लोगों के साथ- साथ यात्रियों को परेशानी हो रही है. दिगंबर जैन समाज से जुड़े सुमन कुमार सिन्हा कहते हैं कि कुछ हद तक पानी की समस्या तो दूर हुई है, लेकिन योजना ठप होने से फिलहाल परेशानी हो रही है. बराकर नदी जलापूर्ति योजना कभी मोटर जलने, कभी मोटर के चोरी हो जाने या किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण बंद रहती है, इससे पानी की समस्या विकट हो जाती है.

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सड़कों का हुआ चौड़ीकरण, फुटपाथ भी बने

पारसनाथ पर्वत की तलहटी में स्थित मधुबन तक यात्रियों के आवागमन के लिए जहां सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है, वहीं फुटपाथ एवं कुछ नई सड़कों का भी निर्माण कराया गया है. यह अलग बात है कि फुटपाथ का भी कई स्थानों पर अतिक्रमण कर लिया गया है. इधर, दिगंबर अस्पताल से पर्वत की तलहट्टी तक सीधे जाने के लिए रिंग रोड भी बनाए गए हैं. पूर्व में मधुबन मोड़ से पर्वत की तलहट्टी तक सिंगल रोड थी जिससे हमेशा जाम लगा रहता था और पूरा मधुबन बाजार अस्त-व्यस्त हो जाता था. अब सड़क के चौड़ीकरण के बाद लोगों को इस समस्या से काफी निजात मिली है.

बस स्टैंड का हुआ निर्माण

मधुबन मोड़ में बस स्टैंड का निर्माण किया गया है. इससे बाहर से आने वाले यात्रियों को काफी हद तक राहत मिली है. बाहर से आने वाली बसें इसी बस स्टैंड पर रुकती है. यहीं यात्री उतरते हैं और फिर छोटी गाड़ियों से शिखरजी तक पहुंचते हैं. हालांकि, बड़ी गाड़ियों का प्रवेश अभी भी मधुबन बाजार में जारी है. दुरुस्त ट्रैफिक व्यवस्था नहीं रहने के कारण कई वाहन संचालक अपनी मनमानी कर रहे हैं. वे यात्रियों को सीधे धर्मशालाओं तक पहुंचाने के लिए बाजार में घुस जाते हैं. फलस्वरूप सड़क चौड़ीकरण के बाद भी मधुबन बाजार में कई बार जाम भी लग जाता है और लोग परेशान भी हो जाते हैं.

सुरक्षा की हुई है चाक-चौबंद व्यवस्था

नक्सल प्रभावित इलाका रहने के कारण मधुबन में अब सुरक्षा की भी चाक-चौबंद व्यवस्था कर दी गई है. सड़क लूट समेत कई अपराधों के बढ़ने से यात्रियों और पर्यटकों के आवागमन पर बड़ा असर पड़ा था लेकिन, नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत नक्सलियों की गतिविधियों पर काफी हद तक अंकुश लगा है. मधुबन में सुरक्षा की भी कड़ी व्यवस्था की गई है. मधुबन में पूर्व से थाना के नाम पर आउट पोस्ट था, लेकिन अब स्थाई रूप से मधुबन में थाना बना दिया गया है. इसके अलावे मधुबन में सीआरपीएफ का कैंप भी है जिससे यात्रियों एवं पर्यटकों में खौफ का माहौल खत्म हुआ है. फलस्वरूप अब यात्रियों का आना-जाना भी काफी बढ़ता जा रहा है.

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पिछले 10 वर्षों में मधुबन में कई कार्य हुए हैं : दीपक मेपानी

तलेटी तीर्थ क्षेत्र, मधुबन के प्रबंधक दीपक मेपानी ने कहा कि एक दशक पूर्व तक मधुबन में कई समस्याएं थीं. ना सड़क अच्छी थी, ना बिजली आपूर्ति ठीक से होती थी और ना पानी की समुचित व्यवस्था थी. यात्रियों को बहुत ही परेशानी होती थी. यात्रियों को तीर्थयात्रा में काफी कष्ट होता था. पिछले सात-आठ साल में कई कार्य हुए हैं. बिजली आपूर्ति दुरुस्त हुई है. पानी की समस्या का भी समाधान किया गया है. हालांकि, पानी उपलब्ध कराने की दिशा में और कार्य करने की जरूरत है. सड़क के चौड़ीकरण होने से यहां की स्थिति में काफी बदलाव आया है. सुविधाएं बढ़ी हैं. अब यात्री भी बढ़ रहे हैं. कोरोना के कारण पर्यटकों का आना जाना प्रभावित हुआ था, अब स्थिति सुधर रही है.


रिपोर्ट : राकेश सिन्हा, गिरिडीह.

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