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गिरिडीह में बंद स्कूल बने तबेले, कक्षाओं में पगुरा रहे पशु

वर्ष 2004-05 में जब सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत हुई थी, तो जिले में 256 स्थानों पर स्कूल खोलने के निर्णय लिये गये और 246 स्कूल भवनों के निर्माण के लिए 4.78 लाख रुपये प्रति स्कूल भवन की दर से विभिन्न वित्तीय वर्ष में कुल 1175.88 लाख रुपये आवंटित किये गये.

वर्ष 2004-05 में जब सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत हुई थी, तो जिले में 256 स्थानों पर स्कूल खोलने के निर्णय लिये गये और 246 स्कूल भवनों के निर्माण के लिए 4.78 लाख रुपये प्रति स्कूल भवन की दर से विभिन्न वित्तीय वर्ष में कुल 1175.88 लाख रुपये आवंटित किये गये. इनमें से अधिकांश स्कूल भवनों का निर्माण तो हो गया, पर कई स्कूल आज भी अधूरे पड़े हैं. 256 स्कूलों में से 10 स्कूल ऐसे हैं, जिसका भवन आज तक नहीं बन पाया.

सरकार के निर्णय के आलोक में ग्राम शिक्षा समिति को ही स्कूल भवन के लिए जमीन मुहैया करानी थी. 10 ग्राम शिक्षा समिति जमीन देने में असमर्थ रही. फलस्वरूप इन स्कूलों का भवन निर्माण नहीं हो सका. ऐसे में इन स्कूलों के बच्चों को कहीं पेड़ के नीचे या किसी के घर के बरामदे में पढ़ाया जाता था.

प्रखंडवार मर्ज किये गये स्कूलों की संख्या : जिले के 13 प्रखंडों में उन 256 स्कूलों को मर्ज कर दिया गया, जो सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से संचालित किये जा रहे थे. जिले के बेंगाबाद प्रखंड में सबसे ज्यादा 39 स्कूल को दूसरे स्कूल में मर्ज किया गया, जबकि बगोदर में सबसे कम आठ. इसी प्रकार गिरिडीह प्रखंड में 18, देवरी में 15, डुमरी में 12, धनवार में 14, जमुआ में 21, बिरनी में 15, गावां में 27, तिसरी में 19, सरिया में 28, पीरटांड़ में 19 और गांडेय में 19 स्कूल मर्ज कर दिये गये.

जमुआ : लावारिस हालत में डाडाटांड़ का भवन : जमुआ प्रखंड में अन्य स्कूलों के साथ-साथ डाडाटांड़ स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय को भी मर्ज किया गया था. इस विद्यालय के भवन की हालत जर्जर है. लावारिस हालत में पड़े इस स्कूल भवन के कई कमरे में ताले लगे हुए हैं. वर्ष 2018-19 में इस विद्यालय को टिकामगहा प्राथमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया था और यहां नामांकित सभी बच्चे टिकामगहा चले गये. विद्यालय में उपलब्ध आधारभूत संरचना भी टिकामगहा स्कूल को दे दिया गया. इसके बाद इस स्कूल भवन को देखने वाला कोई नहीं है, क्योंकि यहां गठित विद्यालय प्रबंधन समिति को भी भंग कर दिया गया है.

भवनों का होगा सरकारी इस्तेमाल – डीएसई : डीएसई अरविंद कुमार ने कहा कि उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मर्ज किये जाने के बाद लगभग 246 स्कूल भवन खाली पड़े हुए हैं. इन स्कूल भवनों का सरकारी इस्तेमाल किया जायेगा. जिस विभाग को इसकी जरूरत होगी, उन्हें आवंटित किया जायेगा.

बिरनी: रख-रखाव के अभाव में बेकार पड़ा भवन : बिरनी प्रखंड के पांच स्कूलों को नजदीकी विद्यालय में मर्ज कर दिया गया था. इनमें प्रमुख रूप से प्रावि हेमाअहारी, उप्रावि विजयडीह, उप्रावि सरंडा कलाल टोला, उप्रावि पिपराडीह टांडियापार शामिल है. इन स्कूलों के भवनों के निर्माण पर लाखों रुपये खर्च हुए. परंतु जब स्कूल मर्ज हो गया, तब ये भवन रख-रखाव के अभाव में बेकार साबित हो रहे हैं. बताया जाता है कि विजयडीह उप्रावि में 9.91 लाख की लागत से स्कूल भवन, 1.68 लाख की लागत से रसोई भवन व 1.24 लाख की लागत से शौचालय तथा परिसर में चापानल लगाया गया, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है.

बगोदर : जर्जर हो चुके हैं कई स्कूल भवन : बगोदर प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय अटकाटांड़, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यलाय सरपंच टोला, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मढ़ला गोपलडीह, उत्क्रमित प्रथामिक विद्यालय मोहड़रा, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय सिजुगढ़ धरगुल्ली, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मड़ई टोला, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय भेलगढ़, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मस्जिद पट्टी हेसला का विलय किया गया था. इनमें से पोखरिया पंचायत के मढ़ला गांव में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यलाय का भवन देख-रेख के अभाव में जर्जर अवस्था में है.

Post by : Pritish Sahay

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