Jharkhand News: आधा से अधिक सावन गुजर गया और बारिश की आस में बैठे किसान अब निराश हो गये हैं. गिरिडीह जिला अंतर्गत धनवार की लाइफ लाइन मानी जाने वाली इरगा नदी में पानी नहीं है. मकई, मड़ुवा, उरद, मूंग, भिंडी आदि भदई फसल झुलस गयी है. सूखे के कारण उनकी कोड़नी-निकोनी तक नहीं हो पायी. हजारों रुपये खर्च कर ढाई-तीन सौ रुपये पॉकेट (एक किलो) खरीद कर लगाया गया धान का बिचड़ा भी झूलस गया है. बिचड़ा 21 से 25 दिनों में खेतों लगाना था. लेेकिन, राजधनवार प्रखंड के किसी भी गांव में धनरोपनी शुरू नहीं हुई है.
किसानों को अब भी अच्छी बारिश का इंतजार
पहले नदी-तालाब में पानी रहने पर किसान पंप का सहारा लेते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. तालाबों में पानी नहीं रहने से मत्स्य पालन भी प्रतिकूल असर पड़ा है. खाद-बीज की दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है. इंद्रदेव की इस बेरुखी से सभी बेबस हैं. रोपनी का समय भी निकलता ही जा रहा है, लेकिन किसानों को अभी भी बारिश का इंतजार है. कई गांवों में बारिश के लिए अखंड-कीर्तन व हवन-पूजन का सहारा लिया जा रहा है.
लाखों का बिचड़ा हो रहा खराब
राजधनवार प्रखंड के हजारों किसान धनरोपनी के लिए लाखों रुपये खर्च कर धान का बीज लगाया था. कई किसानों ने तो इसके लिए महाजनों से कर्ज भी लिया. किसानों ने बताया कि बिचड़ा खराब हो रहा है. अभी भी नहीं हुई बारिश हुई तो धनरोपनी संभव नहीं है. लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. भदई फसल होने की उम्मीद समाप्त हो चुकी है. यह स्थिति राजधनवार प्रखंड के सभी तीन सौ गांव की है. बुजुर्गों की मानें तो 1966-67 के अकाल जैसा हालात नजर आ रहे है.
क्या कहते हैं किसान
सापामारन के किसान विजय वर्मा ने कहा कि बारिश के अभाव में मकई, मड़ुवा, उरद, मूंग सहित भदई साग-सब्जी लगभग नष्ट ही चुकी है. अरहर, कंदा, ईख आदि की भी स्थिति ठीक नहीं है. अभी भी बारिश नहीं हुई तो धनरोपनी नहीं हो सकेगी. वहीं, किसान नागेश्वर यादव ने कहा कि लोगों ने अच्छी फसल की उम्मीद में महंगे दाम पर बीज की खरीदारी की थी. गांवों में लाखों रुपये के बीज बोये गये थे. बिचड़े झुलस गये. अभी भी बारिश हुई तो 10-20 प्रतिशत धनरोपनी हो सकती है.
Posted By: Samir Ranjan.