सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर व जिला पुलिस जुटी सघन अभियान में
गिरिडीह : भाकपा माओवादी के अभेदद्य दुर्ग कहे जाने वाले पारसनाथ पर्वत की घेराबंदी कर ली गयी है. बुधवार को झारखंड जगुआर, सीआरपीएफ व गिरिडीह-धनबाद जिला पुलिस ने संयुक्त अभियान को शुरू किया. पर्वत के तराई इलाके में नक्सलियों की खोज की गयी जबकि जंगल में भी घुस कर नक्सलियों की तलाश की गयी. इस अभियान में सुरक्षा बल व पुलिस बल का मुख्य निशाना कुख्यात नक्सली अजय महतो उर्फ टाइगर तथा बच्चन उर्फ रामदयाल महतो है. बताया जाता है कि इन दोनों की तलाश के लिए अभियान के पल-पल की जानकारी पुलिस मुख्यालय भी ले रहा है.
आइजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा हर स्थिति से हर पल वाकिफ हो रहे है. अभियान में शामिल अधिकारी को भी कई निर्देश श्री मीणा द्वारा दिया जाता रहा है. इसके अलावा डीआइजी सुमन गुप्ता व एसपी क्रांति कुमार भी पूरे ऑपरेशन पर नजर टिकाये हुए हैं. कहा जा रहा है कि इस बार पुलिस व सीआरपीएफ ने आर-पार की लड़ाई करने का फैसला कर लिया है.
इसी फैसले के मुताबिक ऑपरेशन चलाया जा रहा है. जिन इलाकों में नक्सली दस्ता के रहने व जिन गांवों में ठहरने की बात आती रही है, उन गांवों पर विशेष निगाह रखी गयी है. गौरतलब हो कि 25 जनवरी की शाम को पीरटां थाना क्षेत्र के नोकनिया से पीआरडीएफ के फेलो छात्र साईं वर्धन वामसी, पंचायत सेवक मकसूद अंसारी, रोजगार सेवक शंभु पांडेय तथा जनसेवक चंद्रदेव कुमार को नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था. इसके बाद चारों को छुडाने के लिए पुलिस, सीआरपीएफ तथा झारखंड जगुआर ने अभियान शुरू किया.
इसी अभियान के क्रम में 27 जनवरी की शाम को पीरटां थाना क्षेत्र के धोलकट्टा के समीप नक्सलियों ने लैंड माइंस विस्फोट कर दिया था. इस घटना में सीआरपीएफ के एक जवान की मौत हो गयी थी, जबकि 12 जवान घायल हो गये थे. इस घटना के बाद राज्य के डीजीपी राजीव कुमार के नेतृत्व में विशेष बैठक की गयी तथा नक्सलियों के खिलाफ इस इलाके में विशेष अभियान शुरू कर दिया गया. अभियान में शामिल अधिकारियों को सतर्कता बरतने का भी निर्देश दिया गया.
बढते गये नक्सली, सिमटती गयी पुलिस
जंगल से गांव-घर तक चलता है राज
पुलिस में भी है माओवादियों का खौफ
कई कैंप व फायरिंग रेंज बंद
– दीपक पांडेय –
तोपचांची : बरवाअड्डा से डुमरी तक जीटी रोड के उत्तर सिर उठाये पारसनाथ की पहाडी दिखती है. इस पहाडी इलाके में नक्सलियों का राज चलता है. यहां पुलिस भी जाने से डरती है. जीटी रोड से लगभग पांच किमी अंदर जाने पर गिरिडीह जिले की सीमा प्रारंभ होती है. पूरा-का-पूरा सीमा क्षेत्र घने जंगलों एवं अनेकों छोटी-बडी पहाडियों से घिरा हुआ है. इसका लाभ नक्सली उठाते हैं. वे बडे ही आराम से किसी घटना को अंजाम देकर घने जंगलों में खो जाते हैं. झारखंड निर्माण के बाद प्रतिबंधित नक्सली संगठन ने गिरिडीह और धनबाद में अनेकों घटनाओं को अंजाम दिया. ये नक्सली आज भी शासन-प्रशासन के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.
नक्सलियों का मनोबल लगातार बढ.ता जा रहा है. इनके मनोबल का ही नतीजा है कि तोपचांची थाना क्षेत्र के नेरो व गणोशपुर कैंप को हटा लिया गया. वहीं गणोशपुर स्थित पुलिस फायरिंग रेंज को भी बंद करना पडा. नक्सली जैसे-जैसे पांव पसारते गये, वैसे-वैसे पुलिस सिमटती चली गयी. आज गिरिडीह और धनबाद जिले के सीमावर्ती क्षेत्र ढोलकोट्टा नाला से लेकर डकैया पहाडी तक नक्सली बेखौफ घूमते हैं. वे इस क्षेत्र को अपना सेफ जोन मानते हैं. ललकी पहाडी, सिकदार पहाडी, सतपहडी, दुमदुमी पहाडी, डकैया पहाडी, मखारो पहाडी, बंग्ला पहाडी, ताला टुंगरी पहाडी, बकीटां पहाडी आदि से कैंप हटते ही नक्सली बेखौफ हो गये हैं.