– अमरनाथ सिन्हा –
पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में नक्सलियों का पलड़ा रहा है भारी
गिरिडीह : उग्रवाद प्रभावित जिला गिरिडीह में वर्षो से पुलिस व नक्सलियों के बीच शह-मात का खेल चलता आ रहा है. इस खेल में जहां कुछ स्थानों पर पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ कामयाबी मिली है. वहीं ज्यादातर मामले में नक्सलियों का पलड़ा ही भारी रहा है. पुलिस-नक्सली मुठभेड़ों में पुलिस को भारी कीमत चुकानी पड़ी है. मुठभेड़ों में पुलिस के कई जवान शहीद हुए हैं. हालांकि पुलिस ने भी एनकाउंटर के दौरान अभी तक दो एरिया कमांडर समेत चार नक्सलियों को मार गिराने में सफलता भी हासिल की है. इसके अलावा कई नक्सली कैंप को भी ध्वस्त कर असलहे और विस्फोटक सामग्री भी बरामद किया है.
2004 से अभी तक 19 जवानों की जान जा चुकी है : वर्ष 2004 के सितंबर महीने में डुमरी में पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस घटना में पुलिस के पांच जवान शहीद हो गये थे. इसके बाद 11 नवंबर 2005 को जब नक्सलियों ने पचंबा स्थित होमगार्ड ट्रेनिंग सेंटर पर धावा बोला था तो होमगार्ड के चार जवान व जैप के दो जवान शहीद हुए थे. वहीं 30 दिसंबर 2007 को पारसनाथ के चारूबेरा में पुलिस-नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में कोई हताहत तो नहीं हुआ था. इसके अलावा सात अगस्त 2008 को उत्तरी छोटानागपुर बंद के दौरान लक्ष्मणटुंडा के पास पुलिस-नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी. इस घटना में भी सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गये थे. वहीं दो दिसंबर 2009 को पीरटांड़ के तेलियाबहियार में नक्सलियों ने आइइडी ब्लास्ट कर दो जवानों को मार दिया था. इसी तरह नौ नवंबर 2012 को नक्सलियों ने अजीडीह में कैदी वाहन पर हमला बोला था. इस घटना में भी पुलिस के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी. जिसमें तीन पुलिस कर्मियों को जान गंवानी पड़ी थी. वहीं दो फरवरी 2013 को नक्सली छोटका मरांडी के पीरटांड़ इलाके में छिपे रहने की खबर पर पुलिस ने घेराबंदी की थी. इस दौरान भी पुलिस व नक्सलियों के बीच गोलियां चलीं. जिसमें नक्सलियों की गोली से पुलिस जवान अजीत सिंह शहीद हो गये थे. हालांकि इस मुठभेड़ के बाद पुलिस को छोटका मरांडी को पकड़ने में सफलता हासिल हुई थी. इसी तरह अपहृतों की खोज में जुटी पुलिस व सीआरपीएफ को 27 जनवरी 2014 को भी नुकसान उठाना पड़ा है. अभियान के दौरान नक्सलियों द्वारा विस्फोट किया गया. जिसमें एक जवान की मौत हो गयी. वहीं 16 जवान घायल हो गये.