झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स युनियन की ओर से शुक्रवार को गढ़वा समाहरणालय परिसर में धरना दिया गया. धरना की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष वीणा सिन्हा ने किया़ इस अवसर पर बोलते हुए वीणा सिन्हा ने कहा कि पूरे भारत में 60 लाख आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका कार्यरत है़ं
जबकि झारखंड में 75 हजार सेविका-सहायिकाएं 38 हजार केंद्रों का संचालन कर रही है़ं ये सभी सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, जनगणना, कुपोषित गर्भवती व धात्री महिलाओं एवं बच्चों के लिये काम करती आ रही है़ लेकिन साल 1975 से कार्यरत सेविका-सहायिकाओं के लिये आज तक नियमावली नहीं बनायी गयी है़ इस वजह से 62 साल तक सेवा पूरा करने के बाद बिना नियमावली के ही सभी सेवामुक्त हो रही है़
पूरा जीवन बच्चों, महिलाओं आदि की सेवा में समर्पित करने के बाद उन्हें दूध के मक्खी की तरह से निकालकर फेंक दिया जा रहा है़ यह अत्यंत पीड़ादायक है़ उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करते हुए उस अनुरूप सुविधाएं मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी घोषित करते हुए नियमावली बनाने व सेवानिवृति के पश्चात एक मुश्त कम से कम पांच लाख रुपये का आर्थिक लाभ व पेंशन देने की मांग को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है़ धरना के पश्चात उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री को मांगपत्र प्रेषित किया गया़
इसके अलावा उपायुक्त को एक अलग से मांगपत्र दिया गया, जिसमें साल 2016 से दिसंबर 2020 तक के बीच के 16 माह के बकाये पोषाहार मद की राशि का भुगतान करने, सबका कार्यक्रम के तहत किशोरियों को दिये जानेवाले पोषाहार का 11 माह का बकाया राशि भुगतान करने, राष्ट्रीय पोलियो फाइलेरिया के लिये दी जानेवाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने तथा पोषण ट्रैकर के लिए अच्छी कंपनी का मोबाइल देने आदि की मांग शामिल है़.
इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकुंद सिन्हा, प्रदेश संयोजक रामचंद्र पासवान, जिला संयोजक इम्तेयाज खान, कौशल्या देवी, ग्लोरिया टूडु आदि ने संबोधित किया़