लंबे इंतजार के बाद सिर्फ बराज की स्वीकृति
संदर्भ : कनहर जलाशय सिंचाई परियोजनायोजना थी डैम बनाने की. 1974 में लिये गये प्रस्ताव के अनुसार इससे गढ़वा जिले के करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि सहित पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड को भी सिंचित करने की योजना थी. साथ ही 320 मेगावाट बिजली उत्पादन का भी लक्ष्य था. गढ़वा : कनहर जलाशय सिंचाई परियोजना […]
संदर्भ : कनहर जलाशय सिंचाई परियोजना
योजना थी डैम बनाने की. 1974 में लिये गये प्रस्ताव के अनुसार इससे गढ़वा जिले के करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि सहित पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड को भी सिंचित करने की योजना थी. साथ ही 320 मेगावाट बिजली उत्पादन का भी लक्ष्य था.
गढ़वा : कनहर जलाशय सिंचाई परियोजना की चर्चा पुन: जीवित हो उठी है. वह भी किसी सरकार के प्रयास से नहीं, अपितु झारखंड उच्च न्यायालय की पहल के कारण. पूर्व मंत्री हेमेंद्र प्रताप देहाती की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कनहर डैम के लिए सभी संबंधित सरकार व एजेंसियों से जवाब मांगा था.
इसके फलस्वरूप कनहर परियोजना के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी की पहल पर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से स्पष्ट तौर पर जवाब आया कि उनकी सरकार ने कनहर पर डैम बनाने के लिए स्वीकृति देने में असमर्थता व्यक्त की है.
इसके बाद कमेटी के सामने कोई विकल्प नहीं बचने की स्थिति में अंतत: बराज बनाने का फैसला लिया गया. इसके साथ ही गढ़वावासियों के लिए कनहर जलाशय सिंचाई परियोजना का सपना धूमिल हो चुका है.
विदित हो कि इस परियोजना के लिए सन 1974 से अर्थात करीब साढ़े तीन दशक से प्रयास चल रहे थे. अंतिम समय में इसकी मांग पूरा होते दिखी, तो वह भी डैम के बदले बराज से ही संतोष करना पड़ रहा है.
– विनोद पाठक –