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प्रभात खबर की पहल पर 30 साल बाद ‘कालापानी’ से गुमला लौटे फुचा महली, खत्म हुआ लुंदी देवी का इंतजार

प्रभात खबर में समाचार छपने के बाद सरकार हरकत में आई. फुचा महली को अंडमान निकोबार से शुक्रवार को झारखंड लाया गया. रांची पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फुचा महली और उसके परिवार के लोगों से मिले. झारखंड वापस लाने के लिए फुचा महली ने सरकार को शुक्रिया भी कहा.

गुमला (दुर्जय पासवान): जिले के फोरी गांव निवासी फुचा महली (60 वर्ष) 30 सालों बाद शुक्रवार को अपने परिवार से मिले. वो 30 सालों से अंडमान निकोबार में फंसे हुए थे. वो गरीबी के कारण काम की तलाश में गए थे और वहीं फंस गए. वो बंधुवा मजदूर की तरह रह रहे थे. प्रभात खबर में समाचार छपने के बाद सरकार हरकत में आई. इसके बाद फुचा महली को अंडमान निकोबार से शुक्रवार को झारखंड लाया गया. रांची पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फुचा महली और उनके परिवार के लोगों से मिले. झारखंड वापस लाने के लिए फुचा महली ने सरकार को शुक्रिया भी कहा.

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फुचा महली जब अपने परिवार से मिले तो उनकी आंखों में आंसू आ गए. पत्नी लुंदी देवी ने अपने पति को देखकर उनके पैर को छुआ. इसके बाद पैर धोकर फुचा महली का गृह प्रवेश कराया गया. पुत्र रंथु महली, सिकंदर महली भी 30 वर्ष बाद पिता को देखकर भावुक हो गए और पिता से लिपट गए. गांव के लोग भी फुचा महली को देखने के लिए उमड़ पड़े.

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प्रभात खबर की पहल पर 30 साल बाद ‘कालापानी’ से गुमला लौटे फुचा महली, खत्म हुआ लुंदी देवी का इंतजार 3
प्रभात खबर ने सबसे पहले पहल की. अखबार ने फुचा महली को अंडमान निकोबार से वापस लाने की मांग की थी. इस मामले को प्रवासी नियंत्रण कक्ष में दर्ज किया गया. प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने शुभ संदेश फाउंडेशन से संपर्क किया और फुचा महली को अंडमान निकोबार से लाने की जिम्मेवारी सौंपी. इसके बाद फुचा महली की वापसी हो सकी है.
एतवारी महतो, श्रम अधीक्षक, गुमला
पिता के लौटने पर खुश हैं पुत्र

पुत्र सिकंदर महली ने बताया कि मेरे पिता फुचा महली के रांची पहुंचने पर भाई रंथु महली और चाची सुकमनिया महली राजधानी गई थी. वो लोग रांची से लेकर मेरे पिता को गांव पहुंचे. 30 वर्ष बाद पिता को देखा. उन्हें छूआ. सिकंदर ने कहा कि मेरे पिता जब 30 वर्ष के थे. तभी, वो रोजी-रोजगार की तलाश में अंडमान निकोबार चले गए थे. अंडमान पहुंचने के बाद उन्हें रहने के लिए घर और खाने के लिए भोजन तो मिला. लेकिन, मेहनताना नहीं दिया गया. इसके बाद वो एक घर में माली का काम करने लगे, जहां उन्हें सिर्फ तीन वक्त का खाना और रहने के लिए कमरा मिला था. वो परिवार के पास आना चाहते थे. उनके पास पैसा नहीं था. प्रभात खबर की पहल के बाद आज मेरे पिता वापस गांव आ पाए हैं. इस पहल के लिए प्रभात खबर को शुक्रिया कहते हैं.

पति को देखकर भावुक हुई पत्नी

पति फुचा महली का उसकी पत्नी लुंदी देवी (58 वर्ष) 30 वर्ष से इंतजार कर रही थी. 30 वर्षों बाद पति को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए. वो अपने पति को कुछ पल तक निहारती रही.

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रिश्तेदार सरोज कुमार महली ने कहा कि प्रभात खबर को धन्यवाद, जिनकी लेखनी के दम पर सरकार गंभीर हुई. जिसके बाद फुचा महली को वापस झारखंड लाया गया. सरोज ने बताया कि मैंने दो जुलाई को प्रभात खबर को जानकारी दी थी कि फुचा महली अंडमान निकोबार में फंसा है. इसके बाद प्रभात खबर ने समाचार छापा और असर हुआ. आज फुचा महली गांव पहुंच गए हैं.

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