नक्सलमुक्त गुड़ाबांदा में पोस्टरबाजी से सनसनी

15 फरवरी को कान्हु मंडा के सरेंडर के बाद से था शांत गुड़ाबांदा : बीते 15 फरवरी से नक्सल मुक्त घोषित ओड़िशा सीमा से सटे गुड़ाबांदा थाना के मुचरीशोल के पास पुलिया पर सोमवार को नक्सली पोस्टरबाजी से ग्रामीण दहशत में हैं. क्षेत्र में प्रिटेंड पोस्टर साट कर नक्सलियों ने सनसनी फैला दी है. वहीं […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 5, 2017 7:26 AM

15 फरवरी को कान्हु मंडा के सरेंडर के बाद से था शांत

गुड़ाबांदा : बीते 15 फरवरी से नक्सल मुक्त घोषित ओड़िशा सीमा से सटे गुड़ाबांदा थाना के मुचरीशोल के पास पुलिया पर सोमवार को नक्सली पोस्टरबाजी से ग्रामीण दहशत में हैं. क्षेत्र में प्रिटेंड पोस्टर साट कर नक्सलियों ने सनसनी फैला दी है. वहीं अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है. सभी पोस्टर तीन दिसंबर की रात साटे गये थे. सभी पोस्टर ओड़िया और हिंदी में लिखे थे. निवेदक के रूप में सीपीआइ (माओवीदी) लिखा था. सूचना पाकर पुलिस पहुंची और पोस्टरों को जब्त कर लिया. पोस्टरों में कहा गया है कि पन्ना और अन्य प्राकृतिक संपदा पर अधिकार के लिए पीएलजीए में भर्ती हों.
पोस्टर में कई बातें लिखी गयी हैं. मजदूर किसानों की सत्ता के लिए बड़ी संख्या में युवक और युवती भर्ती हों, गुरिल्ला जोनों को मुक्तांचल बनायें, अपने गांव में अपने राज के लिए क्रांतिकारी जन कमेटी और जन मिलिशिया का निर्माण करें आदि बातें लिखी हैं. आशंका जतायी जा रही है कि ओड़िशा में सक्रिय नक्सलियों ने पोस्टर बाजी की है. इसके पूर्व इलाके में ओड़िया भाषा में लिखे पोस्टर कभी नहीं साटे गये थे.
मुचरीशोल के पास पोस्टरबाजी कर नक्सलियों ने उपस्थिति दर्ज करायी
दो दिसंबर से आठ दिसंबर तक पीएलजीए स्थापना सप्ताह मनाने का फरमान
सीमा से सटे ओड़िशा के कई गांवों में भी पोस्टर साटे
खबर है कि सीमा से सटे ओड़िशा के कई गावों में भी नक्सलियों ने पोस्टरबाजी की है. विदित हो कि 15 फरवरी को जियान निवासी इनामी नक्सली कान्हू मुंडा व उसके साथियों के सरेंडर के बाद से गुड़ाबांदा नक्सल मुक्त घोषित हुआ था. उसके बाद से किसी प्रकार की नक्सली गतिविधि प्रकाश में नहीं आयी थी. इस पोस्टरबाजी से नक्सलियों ने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास किया है.

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