झारखंड अनुसूचित जनजाति आयोग बनेगा : मुख्यमंत्री रघुवर दास

दुमका : अब झारखंड में भी राज्य अनुसूचित जनजातीय आयोग का गठन किया जायेगा. उक्त घोषणा मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शनिवार को संताल परगना दिवस के मौके पर दुमका के बिरसा मुंडा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग राज्य के अनुसूचित जनजाति की तमाम समस्याओं का अध्ययन करेगा और उनके […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 23, 2018 6:49 AM
दुमका : अब झारखंड में भी राज्य अनुसूचित जनजातीय आयोग का गठन किया जायेगा. उक्त घोषणा मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शनिवार को संताल परगना दिवस के मौके पर दुमका के बिरसा मुंडा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग राज्य के अनुसूचित जनजाति की तमाम समस्याओं का अध्ययन करेगा और उनके विकास के लिए सरकार को सुझाव देगा.
ग्राम प्रधान व परंपरागत प्रतिनिधियों के प्रमंडलीय सम्मेलन में पहुंचे सीएम ने कहा कि सरकार की ओर से अनुसूचित जनजाति समाज को यह नये साल का तोहफा होगा. इस आयोग का गठन 17 जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में किया जायेगा. आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के अलावा राज्य के सभी प्रमंडल से आदिवासी समाज के एक-एक सदस्य शामिल होंगे.
ऐतिहासिक दिन है 22 दिसंबर : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 22 दिसंबर के दिन को ऐतिहासिक बताया. कहा कि इस धरती में सिदो-कान्हू, चांद, भैरव, फूलो, झानो जैसे वीरों ने अंग्रेजों से लोहा लिया था और उनसे संघर्ष किया था.
इसी संघर्ष के परिणामस्वरूप 1855 में संताल परगना अस्तित्व में आया था. इसी दिन यानी 22 दिसंबर को ही संताल समाज की मांग पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संताली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराया था.
जब-जब केंद्र में भाजपा की सरकार रही, तब-तब उसने आदिवासियों की चिंता की
सीएम ने पूर्व पीएम दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को नमन करते हुए कहा कि जब-जब केंद्र में भाजपा की सरकार रही, तब-तब उसने आदिवासियों की चिंता की.
कांग्रेस देश में लंबे समय तक सत्ता में रही, लेकिन आदिवासियों के लिए कोई काम नहीं किया. केवल मतपेटियों को भरा. सीएम ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए जिस वनबंधु योजना से गुजरात के आदिवासियों की हालत बदली, उसी तर्ज पर झारखंड सरकार ने भी वनबंधु योजना को अपनाया है.
उन्होंने देश की आजादी से लेकर अलग राज्य के लिए कुर्बानी देनेवाले आदिवासी समाज से विकास में सहभागी बनने का आह्वान किया. कहा कि वे एक कदम विकास के लिए आगे बढ़ायें, सरकार चार कदम आगे बढ़ायेगी. इस अवसर पर परंपरागत व्यवस्था से जुड़े छह लोगों को मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया. मुख्यमंत्री को ग्राम प्रधानों ने स्मृति चिह्न के रूप में नगाड़ा भेंट किया.
आदिवासियों की सबसे अधिक फिक्र करते हैं मुख्यमंत्री : डॉ लुईस
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि गैर आदिवासी होकर भी मुख्यमंत्री आदिवासियों के लिए सबसे अधिक फिक्र करते हैं.
अब तक आदिवासियों की उपेक्षा हुई, इसलिए आदिवासी समाज आज तक अपने को ठगा महसूस करता रहा है. कार्यक्रम में श्रम मंत्री राज पालिवार, सांसद निशिकांत दूबे, राज्य महिला आयोग की सदस्य प्रो शर्मिला सोरेन व अन्य मौजूद थे.

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