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झारखंड के सरकारी अस्पताल में भी मिलेगी अमेरिका जैसी यह सुविधा, रंग लायी IIT (ISM) के वैज्ञानिकों की मेहनत

government hospitals of jharkhand to provide facilities like united states soon रांची : झारखंड के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को अब अमेरिका की तरह एक सुविधा मिलने का रास्ता साफ हो गया है. आइआइटी (आइएसएम) धनबाद के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो एक साथ चार मरीजों की जान बचा सकेगा. इन वैज्ञानिकों ने एक वेंटिलेटर एडाप्टर बनाया है, जिससे एक साथ चार रोगियों को ऑक्सीजन की सप्लाई होगी.

रांची : झारखंड के वैज्ञानिकों ने एक अनूठा वेंटिलेटर तैयार किया है. एक मशीन से चार लोगों की जिंदगी बचायी जा सकेगी. यह कारनामा कर दिखाया है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) का दर्जा प्राप्त करने वाले धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (ISM) के रिसर्च स्टूडेंट्स ने. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच झारखंड के स्टूडेंट्स की यह खोज इस घातक बीमारी के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी.

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कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है. देश भर के अस्पतालों में फिलहाल वेंटिलेटर की काफी कमी बतायी जा रही है. ऐसे में आइएसएम के वैज्ञानिकों की यह खोज मरीजों के साथ-साथ सरकार को भी बहुत बड़ी राहत देगा. इस वेंटिलेटर की सबसे खास बात यह है कि इसके माध्यम से अलग-अलग मरीजों को उनकी जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन की सप्लाई होगी.

सबसे पहले इस वेंटिलेटर का इस्तेमाल धनबाद के पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में होगा. वैज्ञानिक आज-कल में ही यह वेंटिलेटर पीएमसीएच को दे देंगे. 14 वर्ष पहले वर्ष 2006 में अमेरिका में पहली बार एक से अधिक लोगों के लिए वेंटिलेटर बनाने का विचार वैज्ञानिकों के दिमाग में आया था. उस वक्त डॉ मेनिस के मार्गदर्शन में एक वेंटिलेटर से दो लोगों को ऑक्सीजन की सप्लाई की गयी थी.

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इससे कई लोगों की जान बची थी. अमेरिका के पास ऐसे वेंटिलेटर पहले से ही मौजूद हैं, जिसका उपयोग चार मरीजों के लिए किया जा सकता है. आइआइटी(आइएसएम) के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अमित राज दीक्षित, आशीष कुमार और रिसर्च स्कॉलर रत्नेश कुमार ने स्वदेशी तकनीक से यह वेंटिलेटर तैयार की है. इन लोगों ने रिवर्स इंजीनियरिंग लैब में दो तरह के 3डी वेंटिलेटर बनाये हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर का इस्तेमाल किया गया है. एक वेंटिलेटर से ही चार मरीजों को ऑक्सीजन की सप्लाई की सुविधा दी जा सकेगी. एक को इंस्पिरेटरी लिंब के साथ और दूसरे को एक्सपिरेटरी लिंब के साथ जोड़कर एक साथ चार वेंटिलेटर सर्किट कनेक्ट किये गये हैं. वेंटिलेटर में अलग-अलग साइज के छिद्र हैं, जो ऑक्सीजन की सप्लाई को कंट्रोल करेंगे.

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वैज्ञानिकों ने बताया कि यह हर मरीज की जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन की सप्लाई करेगा. एक मरीज युवा है और दूसरा बुजुर्ग, तो बुजुर्ग को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होगी. अलग-अलग मरीजों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसमें ऑक्जीजन फ्लो कंट्रोल वाल्ब की भी व्यवस्था की गयी है. इसमें कई और खूबियां भी हैं.

आइएसएम के निदेशक प्रोफेसर राजीव शेखर के निर्देश पर तैयार इस वेंटिलेटर का इस्तेमाल विषम परिस्थितियों में होता है. यह रोजाना इस्तेमाल के लिए नहीं है. अभी दो वेंटिलेटर तैयार किये गये हैं. लॉकडाउन की वजह से रॉ मैटेरियल का अभाव है. फिर भी कोशिशें जारी हैं कि ऐसे और कुछ वेंटिलेटर तैयार किये जा सकें, ताकि राज्य के लोगों की जान बचाने में डॉक्टरों को सहूलियत हो.

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