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झारखंड में छात्रवृत्ति घोटाले की जद में आये कई बीइइओ, यूं तोड़ा फर्जीवाड़े का हर रिकॉर्ड, पढ़िए ये रिपोर्ट

धनबाद : अल्पसंख्यक छात्रों को दी जानेवाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के दायरे में जिले के विभिन्न प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (बीइइओ) भी आ गये हैं. जिले के किसी प्रखंड में प्रखंड कल्याण पदाधिकारी नहीं हैं. प्रखंड स्तर पर बीइइओ ही कल्याण विभाग का काम संभालते हैं. ऐसे में जिले में पिछले कुछ वर्षों से अल्पसंख्यक छात्रों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति के वितरण में हो रहे फर्जीवाड़े में इनकी भूमिका जांच के दायरे में आ गयी है. इनके जिम्मे स्कूलों के भौतिक सत्यापन की जिम्मेवारी होती थी. इन्हें बताना होता था कि जिस स्कूल के नाम पर छात्रवृत्ति मांगी जा रही है, वह आवासीय है या नहीं. पर इसके सत्यापन के नाम पर बड़े पैमाने पर वर्ष 2016 से ही फर्जीवाड़ा किया जा रहा है.

धनबाद : अल्पसंख्यक छात्रों को दी जानेवाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के दायरे में जिले के विभिन्न प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (बीइइओ) भी आ गये हैं. जिले के किसी प्रखंड में प्रखंड कल्याण पदाधिकारी नहीं हैं. प्रखंड स्तर पर बीइइओ ही कल्याण विभाग का काम संभालते हैं. ऐसे में जिले में पिछले कुछ वर्षों से अल्पसंख्यक छात्रों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति के वितरण में हो रहे फर्जीवाड़े में इनकी भूमिका जांच के दायरे में आ गयी है. इनके जिम्मे स्कूलों के भौतिक सत्यापन की जिम्मेवारी होती थी. इन्हें बताना होता था कि जिस स्कूल के नाम पर छात्रवृत्ति मांगी जा रही है, वह आवासीय है या नहीं. पर इसके सत्यापन के नाम पर बड़े पैमाने पर वर्ष 2016 से ही फर्जीवाड़ा किया जा रहा है.

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पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक फर्जीवाड़ा : यूं तो वर्ष 2016-17 से ही इस छात्रवृत्ति के वितरण में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. पर सबसे अधिक फर्जीवाड़ा वर्ष 2018-19 और 2019-20 के छात्रवृत्ति वितरण में किया गया है. वर्ष 2018-19 के दौरान 2080 नये छात्रों को यह छात्रवृत्ति दी गयी थी, लेकिन इनमें करीब 44 प्रतिशत छात्रों को आवासीय बता कर छात्रवृत्ति की अधिकतम राशि (10700 रुपये) का भुगतान कर दिया गया था. इस वर्ष 888 छात्रों को अधिकतम राशि का भुगतान किया गया. जिन स्कूलों के नाम पर अधिकतम राशि का भुगतान किया गया, उनमें से 95 प्रतिशत आवासीय नहीं हैं, जबकि स्कूलों के सत्यापन की जिम्मेवारी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों (बीइइओ) को दी गयी थी.

इस वर्ष 90 प्रतिशत आवेदन खारिज : घोटाले के सामने आने के बाद जिन स्कूलों को आवासीय बता कर वर्ष 2020-21 के दौरान छात्रवृत्ति के लिए आवेदन दिया गया था, उनमें से 90 प्रतिशत के आवेदन खारिज कर दिये गये हैं, क्योंकि प्रखंड स्तर पर इनके सत्यापन के दौरान यहां हॉस्टल नहीं पाये गये थे. उनके दावे को प्रखंड स्तर पर ही खारिज कर दिया गया है. वर्ष 2019-20 के दौरान फर्जीवाड़े का हर रिकार्ड टूट गया था. इस वर्ष 9776 छात्रों को अधिकतम 10700 रुपये की राशि का भुगतान किया गया. ऐसे स्कूलों में कुछ को छोड़ कोई आवासीय विद्यालय नहीं हैं. अब तक की जांच में इस वर्ष जिला कल्याण विभाग की ओर से कुछ स्कूलों का ही सत्यापन करवाया गया था. बिना सत्यापन किये अधिकतर स्कूलों को छात्रवृत्ति के भुगतान की अनुशंसा कर दी गयी थी.

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वर्ष 2016-17 और वर्ष 2017-18 के दौरान भी आवासीय विद्यालयों के सत्यापन के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया था, लेकिन तब इनकी संख्या अधिक नहीं थी. वर्ष 2016-17 के दौरान केवल 70 विद्यार्थियों को अधिकतम राशि (10700 रुपये) का भुगतान किया गया था. इनमें कुछ ऐसे स्कूलों के नाम पर इस राशि का भुगतान किया गया, जो आवासीय़ नहीं हैं. ऐसे स्कूलों में संत अंथोनी स्कूल धनबाद, संत मैरी डे स्कूल, लिटिल फ्लावर स्कूल जैसे नाम शामिल हैं. इस वर्ष सभी स्कूलों का सत्यापन बीइइओ द्वारा किया गया था. इनके एनओसी के बाद ही इन स्कूलों के नाम पर अधिकतम राशि का भुगतान किया गया. इसी तरह वर्ष 2017-18 के दौरान भी 94 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की अधिकतम राशि का भुगतान किया गया. जिन स्कूलों के नाम पर अधिकतम राशि का भुगतान हुआ और जहां हॉस्टल नहीं हैं, उनमें संत अंथोनी स्कूल, लिटिल जॉन स्कूल और लिटिल फ्लावर स्कूल आदि शामिल हैं. इस वर्ष भी इन स्कूलों का सत्यापन बीइइओ द्वारा किया गया था.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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