Jharkhand News: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. जी हां, अगर इंसान के अंदर कुछ करने का हौसला हो, तो वो अपने हौसले की बदौलत आसमां की सैर कर सकता है. कुछ ऐसा ही हौसला झारखंड के धनबाद की बेटी रेखा मिश्रा का है. हादसे में एक पैर गंवा चुकी है, लेकिन हौसला नहीं हारी. एक पैर से ही डांस कर धमाल मचा रही है. सोशल मीडिया में वो इन दिनों वायरल है. रेखा का सपना बेस्ट डांसर बनने का है.
पुरस्कार से नवाजी जा चुकी है रेखा
धनबाद जिले के बलियापुर मुख्यालय से 9 किमी दूर वीरसिंहपुर पंचायत के शीतलपुर मिश्रा टोला निवासी कृष्णा मिश्रा की 19 साल की पुत्री है रेखा मिश्रा. एक पैर न होने के बाद भी आसमां की सैर करने की ताकत रखती है. एक पैर न होने के बावजूद वह अच्छी डांसर है. रेखा के डांस का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है. बेहतर डांस के लिए 5 साल पूर्व पर्जन्य बीएड कॉलेज बलियापुर व दो साल पूर्व एसएसएलएनटी कॉलेज धनबाद के कार्यक्रमों में पुरस्कार नवाजा गया था. प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय शीतलपुर में भी वह पुरस्कृत हुई थी.
हादसे में गंवा बैठी थी अपना पैर
रेखा मिश्रा वर्ष 2014 में अक्टूबर महीने में पश्चिम बंगाल के एक गांव में मेला देखने गयी थी. लौटने के क्रम में पश्चिम बंगाल के दुबड़ा पाड़ा के बीच गुड़गुड़िया में सड़क हादसे में उसका पैर बुरी तरह डैमेज हो गया था. चिकित्सकों को उसका एक पैर काटना पड़ा था. घटना के आठ साल बीत जाने के बावजूद उसे अभी तक मुआवजा नहीं मिला. मामला बंगाल कोर्ट में चल रहा है.
डांस को माना जिंदगी
सड़क हादसे में पैर गंवाने के बाद रेखा मिश्रा का जीवन पूरी तरीके से बदल गया. डांस को ही उसने अपना जीवन मान लिया. टीवी व फोन से गाना सुनने-देखने लगी और डांस सिखने लगी. इसके लिए मां पूर्णिमा मिश्रा, दादा सुनील मिश्रा, दादी संध्या मिश्रा, भाई विश्वजीत मिश्रा, बहन रानी मिश्रा के अलावा बस्ती वालों का भी काफी सहयोग रहा.
हॉस्टल में रहकर करती है पढ़ाई
रेखा मिश्रा एसएसएलएनटी धनबाद में हॉस्टल में रहकर बीएससी कर रही है. वह नामचीन डांसर बनना चाहती है. टीवी के कार्यक्रमों में शामिल होना चाहती है. उसे मार्गदर्शन व सहयोग की जरूरत है.
बिरसिंहपुर के शिक्षकों ने की थी मदद
शुरुआती पढ़ाई के समय में बिरसिंहपुर राजकीयकृत मध्य विद्यालय के शिक्षक अजीत माजी हमेशा सहयोग करते रहते थे. रेखा मिश्रा के एक पैर गंवाने के बाद भी शिक्षक उसे अपनी मोटरसाइकिल से स्कूल ले जाते थे. इस तरह वह आगे बढ़ती रही.
रिपोर्ट: शेख कलीम