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मेडिकल बोर्ड ने किया मां-बेटी का पोस्टमार्टम, बिसरा जब्त

परिजनों काे करना पड़ा नौ घंटे इंतजार धनबाद : प्रसव के बाद दम तोड़ने वाली वृंदावन काॅलोनी निवासी खुशबू देवी व नवजात बच्ची का मंगलवार को मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया. मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों ने खुशबू की मौत का कारण कार्डियक रेस्पिरेट्री फेल्योर (रक्त बहाव व स्वांस अवरुद्ध) बताया है. हालांकि और स्पष्ट कारणों […]

परिजनों काे करना पड़ा नौ घंटे इंतजार

धनबाद : प्रसव के बाद दम तोड़ने वाली वृंदावन काॅलोनी निवासी खुशबू देवी व नवजात बच्ची का मंगलवार को मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया. मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों ने खुशबू की मौत का कारण कार्डियक रेस्पिरेट्री फेल्योर (रक्त बहाव व स्वांस अवरुद्ध) बताया है. हालांकि और स्पष्ट कारणों के लिए बिसरा जब्त किया गया है. नवजात का भी बिसरा प्रिजर्व किया गया है. इधर, परिजन सुबह नौ बजे खुशबू व नवजात के शव को लेकर पोस्टमार्टम हाउस आ गये थे. तब से दोपहर तक काफी रस्साकशी के बाद 3.30 बजे मजिस्ट्रेट रामप्रवेश कुमार की निगरानी में पोस्टमार्टम शुरू हुआ, जो 5.30 बजे खत्म हुआ. पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी की गयी.
दूसरी ओर, पोस्टमार्टम हाउस के बाहर वृंदावन कॉलोनी के लोगों की भीड़ रही. सरायढेला पुलिस भी मौजूद थी. कुछ भाजपा नेता भी पहुंचे थे. देर शाम छह बजे शव वृंदावन कॉलोनी स्थित घर लाया गया तो परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. देर रात को शव को मोहलबनी घाट ले जाया गया. सोमवार को कोलाकुसमा के सहयोगी नगर 2 स्थित सावित्री सर्जिकल एंड मेटरनिटी सेंटर में प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी थी.
मेडिकल बोर्ड में सात चिकित्सक
: मेडिकल बोर्ड में पैथोलॉजी से डॉ आरके सिंह, एफएमटी से डॉ वी तिग्गा, मेडिसिन में डॉ एसएस साह, सर्जरी में डॉ अनिल कुमार, स्त्री रोग में डॉ शशि लाल, एनेस्थिसिया से डॉ यूएन वर्मा, एनाटॉमी से डॉ आरसी झा थे. मजिस्ट्रेट रामप्रवेश कुमार की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया गया.
बिना बोर्ड के पोस्टमार्टम का बनाया दबाव
मृतका के पति चंद्रभूषण सिन्हा ने बताया कि दोपहर 12 बजे सरायढेला पुलिस ने कहा कि बिना मेडिकल बोर्ड का पोस्टमार्टम करा लो, लेकिन वे लोग नहीं माने. परिजनों ने रांची के वरीय पदाधिकारी व उपायुक्त से मजिस्ट्रेट की निगरानी में मेडिकल बोर्ड कराने की मांग की. इसके बाद आनन-फानन में पदाधिकारी पोस्टमार्टम हाउस आने लगे. केस के आइओ दिन के 1.30 बजे पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे.
वीडियोग्राफी के लिए परिजनों को देने पड़े 1500
चंद्रभूषण ने बताया कि मेडिकल बोर्ड में वीडियोग्राफी के लिए उन्हें 1500 रुपये देने पड़े. पुलिस बार-बार बिना बोर्ड के पोस्टमार्टम करने का दबाव बना रही थी. जब लोग नहीं माने तो बताया गया कि वीडियोग्राफर को चार्ज देना होगा. इस पर हो-हल्ला हुआ. इसके बाद परिजन राजी हुई. पोस्टमार्टम के बाद वीडियोग्राफर को 15 सौ रुपये देने पड़े. चंद्रभूषण ने बताया कि यह पुलिस का काम था, लेकिन हमें बेवजह परेशान किया गया.
मजिस्ट्रेट पहले पहुंचे, बाद में आया लेटर
जच्चा-बच्चा के शव का पोस्टमार्टम को लेकर दिन भर रस्साकशी चलती रही. परिजनों के अड़ने के बाद मेडिकल बोर्ड बैठायी गयी, लेकिन इसमें मजिस्ट्रेट नियुक्त नहीं किये गये थे. जबकि परिजन मजिस्ट्रेट के लिए अड़े हुए थे. चंद्रभूषण के साथी मुकेश कुमार ने बताया कि उपायुक्त के आदेश पर मजिस्ट्रेट पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गये, लेकिन उनका लेटर नहीं आया था. बाद में उनका लेटर आया. तब जाकर पोस्टमार्टम शुरू किया गया. सुबह नौ बजे से लेकर शाम 5.30 बजे तक परिजन भूखे-प्यासे पोस्टमार्टम हाउस के बाहर बैठे रहे.
क्लीनिक में न आइसीयू है, न प्रशिक्षित कर्मी
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर परिजन काफी गुस्से में थे. पति चंद्रभूषण का कहना था सावित्री सर्जिकल एवं मेटरनिटी सेंटर में इलाज की कोई सुविधा नहीं है. यहां न आइसीयू है आैर न जीवन रक्षक उपकरण. प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ तक नहीं हैं. इसकी जांच होनी चाहिए कि स्वास्थ्य विभाग इसे कैसे लाइसेंस दे रखा है.

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