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चिंताजनक: कोलकाता के ढाकुरिया में एक महीने से भरती हैं पूर्व उप मुखिया याकूब अंसारी, बिल के लिए आमरी अस्पताल ने मरीज को रोका

बरवाअड्डा: बिल का भुगतान नहीं करने पर कोलकाता के निजी अस्पताल आमरी ढाकुरिया पर झारखंड के गोविंदपुर प्रखंड के मरिचो पंचायत के पूर्व उप मुखिया व कांडालागा निवासी 46 वर्षीय याकूब अंसारी को रोकने का आरोप लगा है. श्री अंसारी फिलहाल कोमा में हैं. उन्हें ब्रेन हेमरेज के बाद इस अस्पताल में भरती करवाया गया […]

बरवाअड्डा: बिल का भुगतान नहीं करने पर कोलकाता के निजी अस्पताल आमरी ढाकुरिया पर झारखंड के गोविंदपुर प्रखंड के मरिचो पंचायत के पूर्व उप मुखिया व कांडालागा निवासी 46 वर्षीय याकूब अंसारी को रोकने का आरोप लगा है. श्री अंसारी फिलहाल कोमा में हैं. उन्हें ब्रेन हेमरेज के बाद इस अस्पताल में भरती करवाया गया था. याकूब अंसारी की बीवी अलीमा बीबी ने बताया कि वे लोग पैसे के अभाव में दर–दर भटक रहे हैं. पति का हाल सुनाते हुए वह फूट–फूट कर रोने लगी.

आरोप लगाया कि कोलकाता के इस नामी हॉस्पिटल ने पैसे के कारण उसके पति को जबरन रोक रखा है. उन्हें घर नहीं लाने दिया जा रहा है. अलीमा ने बताया कि उसका परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन–बसर करता है. परिवार में तीन पुत्र व एक पुत्री है. पति याकूब अंसारी किसी तरह परिवार का भरण–पोषण करते थे.

29 मार्च को हुआ ब्रेन हेमरेज : दो वर्ष पहले याकूब अंसारी को लकवा मार गया. उनका मुंह एवं बायां हाथ पूरी तरह काम नहीं कर रहा था. हालांकि इसी हालत में वह काम करते रहे और परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ करते रहे. बीते 29 मार्च को घर में टीवी देखने के दौरान याकूब अचानक कुरसी से गिर पड़े. उन्हें इलाज के लिए तुरंत जालान हॉस्पिटल ले जाया गया. डॉक्टरों ने ब्रेन हेमरेज होने की बात कही. वहां से ढाकुरिया के आमरी हॉस्पिटल ले जाया गया.
दिलासा की घूंटी पिला काटी जेब: अलीमा बीबी ने बताया कि एडमिट कराने के समय हॉस्पिटल प्रबंधन ने एक लाख पचास हजार रुपये जमा करवाये थे. इसके बाद इलाज शुरू हुआ. पूछने पर डॉक्टर कहते कि उसके पति धीरे–धीरे ठीक हो जायेंगे. भरती कराये एक माह से अधिक हो गये, लेकिन हालत में कुछ सुधार नहीं हुआ है. याकूब पहले की तरह बेड पर शिथिल पड़े हैं. इधर, जब याकूब के परिजन उन्हें ले जाने लगे तो हॉस्पिटल प्रबंधन ने छह लाख 38 हजार का भारी–भरकम बिल थमा दिया. उन लोगों ने दो लाख 38 हजार रुपये जमा कराये.
अामरी सीइओ रूपक बरूआ ने दिया मदद का भरोसा : आमरी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपक बरूआ ने प्रभात खबर को बताया कि उन्हें मरीज के बारे में पूरी जानकारी नहीं है. इस कारण इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन अस्पताल की नीति के अनुसार मरीज की आर्थिक स्थिति यदि खराब है, तो भरती कराते समय अस्पताल प्रबंधन को सूचित करना चाहिए था. यदि मरीज के परिजन के पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, तो अस्पताल का मरीज कल्याण फंड है. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत वे लोग जरूरतमंद मरीजों की मदद करते हैं. इससे पहले भी उन लोगों ने मदद की है.
सरकारी मदद भगवान भरोसे
आर्थिक स्थिति देखते हुए परिजन ने सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल से मदद मांगी तो उन्होंने सरकार से ढाई लाख की मदद की स्वीकृति दिलवा दी. इसका पत्र परिजन ने हॉस्पिटल प्रबंधन को दिया. प्रबंधन पत्र की जगह चेक की मांग कर रहा है. इधर झारखंड सरकार के अधिकारियों व कर्मियों का कहना है कि फंड में पैसे अभाव नहीं है. पैसा आने पर भुगतान होगा. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन परिजन की एक नहीं सुन रहा है.

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