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..फिर भी चुनाव लड़ने को आतुर बुधन राम

धनबाद: बुधन राम को कौन नहीं जानता. मुखिया का चुनाव हो या राष्ट्रपति का, हर चुनाव में उन्होंने भाग्य आजमाया है. हारते रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. अब वह 82 साल के हैं. माली हालत भी अच्छी नहीं. स्वास्थ्य भी साथ नहीं दे रहा. बिस्तर पर पड़े रहते हैं. लेकिन उनकी इच्छा है कि यह […]

धनबाद: बुधन राम को कौन नहीं जानता. मुखिया का चुनाव हो या राष्ट्रपति का, हर चुनाव में उन्होंने भाग्य आजमाया है. हारते रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. अब वह 82 साल के हैं.

माली हालत भी अच्छी नहीं. स्वास्थ्य भी साथ नहीं दे रहा. बिस्तर पर पड़े रहते हैं. लेकिन उनकी इच्छा है कि यह लोकसभा चुनाव भी लड़ ही लें. बकौल बुधन राम : अब तक 80 चुनाव लड़ चुका हूं. एक चुनाव और लड़ लूंगा तो सबसे अधिक बार चुनाव लड़ने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में मेरा नाम दर्ज हो जायेगा.

मैं नहीं, जनता हारी है : बुधन राम ने 1971 में पहली बार धनबाद लोकसभा से चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में कांग्रेस के रामनारायण शर्मा विजयी हुए. उसके बाद से वह चुनाव लड़ते और हारते रहे. लेकिन उनका मानना है कि चुनाव वे नहीं हारे, चुनाव तो जनता हारी है. वह कहते हैं : मैं तो आज भी जीता हुआ प्रत्याशी हूं. यदि हार जाता तो चुनाव ही क्यों लड़ता. पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं ले सका, लेकिन इस लोकसभा में मैं कोशिश करूंगा की चुनाव लड़ं.

देश-विदेश में चर्चा : चुनाव लड़ने के कारण बुधन राम देश-विदेश की मीडिया में सुर्खी बनते रहे हैं. बीते जमाने की याद करते हुए कहते हैं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानती थी. जबकि राजीव गांधी ने अमेरिका में भाषण देते हुए मेरा जिक्र किया था कि भारत में लोकतंत्र इतना मजबूत है कि बुधन नामक एक शख्स कोई भी चुनाव लड़ने में पीछे नहीं हटता.

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