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जिस दिन से ब्रह्माकुमारी से जुड़ी, जिंदगी जीने लगी

श्रीमद् भागवत गीता रहस्योद्घाटन में पहुंची राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, कहा धनबाद : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि जिस दिन से मैं ब्रह्माकुमारी से जुड़ी हूं, उस दिन से मैं जिंदगी जीने लगी हूं. बाकी जिंदगी तो मेरे लिए बेकार थी. जिंदगी का मतलब उस दिन से जानी जब मैं ब्रह्मा कुमारी के आश्रम […]

श्रीमद् भागवत गीता रहस्योद्घाटन में पहुंची राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, कहा

धनबाद : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि जिस दिन से मैं ब्रह्माकुमारी से जुड़ी हूं, उस दिन से मैं जिंदगी जीने लगी हूं. बाकी जिंदगी तो मेरे लिए बेकार थी. जिंदगी का मतलब उस दिन से जानी जब मैं ब्रह्मा कुमारी के आश्रम पहुंची.
राज्यपाल प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से सरायढेला स्थित सोनोटेल गार्डेन में शनिवार को श्रीमद् भागवत गीता रहस्योद्घाटन के दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा : मेरा बचपन बहुत अच्छा था. लेकिन जब संसार शुरू किया तो एक के बाद एक बहुत सारी परेशानी मेरे जीवन में आयी और पूरी जिंदगी तहस-नहस हो गयी. उसके बाद मैं और मेरे बच्चे अकेले रह गये. मुझे बच्ची के लिए जीना था. इसके बाद मैंने लगातार कई कठिनाईयों को पार किया और सफल हुई. उसके बाद मैं आश्रम गयी और सात दिनों का कोर्स किया. उसके बाद मैं नियमित नियम के साथ सभी कुछ करने लगी. मेरी बेटी कहती है कि जब भी ब्रह्मा कुमारी की बात आती है तो तुम्हारे चेहरे पर चमक आ जाती है.
श्रीमती मुर्मू ने कहा : गीता का सच्चा ज्ञान सुनाने के लिए माउंट आबू से उषा दीदी आयी हुईं हैं. उन्हें सुनने का मौका पूरे धनबादवासियों को मिल रहा है. यह सभा साधारण सभा नहीं है. यह इंद्रों की सभा है. इसमें देवी-देवता उपस्थित होते हैं. यह सभा पांडवों व अर्जुन की है. इस सभा में मैं अपने-आपको छोटी सी बच्ची समझती हूं. इस सभा में उषा बहन, जो परमात्मा के साथ दिन रात योग लगाती हैं, बातें करती हैं, उनके सामने आध्यात्मिकता के ऊपर मेरे लिए भाषण देना इतना सहज नहीं है.
पूजा चटर्जी ने गाये गीत : इंडियन आयडल फेम गायिका पूजा चटर्जी ने कहा कि ब्रह्माकुमारी मेरे लिए मां है. मां का बुलावा आया है तो हम अपने आप को रोक नहीं पाये और यहां आ गये. यहां पर इतनी शांति मिलती है जितनी कहीं नहीं. इस दौरान पूजा ने तीन गाने भी गाये. तभी तो चंचल है तेरे नैना देखो ना…, नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा, मेरी आवाज ही पहचान है … और तू धार है नदियां की, तू मेरा किनारा है…
ये भी थीं मौजूद : बीके बिमला दीदी राउरकेला, बीके कमला दीदी कोलकाता, बीके अनु दीदी धनबाद, बीके रमण दीदी. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि राजपाल द्रौपदी मुर्मू, उषा दीदी व अन्य लोगों ने द्वीप प्रज्वलित कर की. दीप प्रज्वलन के बाद राष्ट्रीय गान गाया गया. छोटे-छोटे बच्चों और कॉलेज की छात्राओं ने नृत्य पेश किया.
जीवन में पांडव व कौरव दोनों हैं : उषा दीदी
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता को विश्व में बहुत महान माना गया है. यह एकमात्र पुस्तक है जिसमें भगवान स्वयं अपने श्रेष्ठ मत अपनी आत्माओं को देते हैं. दुनिया में जितने भी महापुरुष हुए चाहे वह स्वामी विवेकानंद हों, रवींद्र नाथ टैगोर हों, चाहे दुनिया के बड़े वैज्ञानिक हों वे सभी महानता के शिखर पर पहुंचे हैं तो उसका कारण है कि कहीं न कहीं उन्होंने जीवन में श्रीमद भागवत गीता को आत्मसात किया है.
उषा दीदी ने कहा कि परिवार में पांडव व कौरव दोनों हैं. हमारे जीवन के अंदर भी पांडव व कौरव दोनों वास करते हैं, तभी संघर्ष चलता है. पांडव पांच थे और कौरव सौ थे. पांच पांडव व सौ कौरव, अर्थात आज संसार के लोगों का प्रतिशत निकाला जाये तो पूरी दूनिया में पांच प्रतिशत लोग ही पांडव प्रवृत्ति के हैं. बाकी पूरी दुनिया में कौरव वृत्ति वाले लोगों की संख्या अधिक है. उन्होंने पांचों भाइयों के गुण इस तरह बताये.
युधिष्ठिर : युद्ध जैसी परिस्थिति में भी जो अपने जीवन की धारणाओं (धर्म) पर स्थिर रहे, उसे युधिष्ठिर कहते हैं.
भीम : भीम का अर्थ है विल पावर. दुनिया में लोगों का आत्मविश्वास खत्म होने लगा है, भीम जैसे व्यक्ति मात्र एक प्रतिशत हैं.
अर्जुन : भगवान ने जो कहा उसे अर्जन किया उसे अर्जुन कहते हैं.
नकुल : जो अपना जीवन नियमों व सिद्धांतों पर जीया उसे नकुल कहते हैं. ऐसे लोग भी एक प्रतिशत ही हैं.
सहदेव : जो हर अच्छे कार्य में अपना पूरा सहयोग दे, और सहयोग के एवज में किसी तरह की इच्छा न रखे वैसे व्यक्ति का चरित्र था सहदेव.
कौरव : कौरव का अर्थ बुरी वृत्ति. अधर्म के वाचक. धृतराष्ट्र को नैन हीन दिखाया गया. वह अहंकार व सत्ता के लालच में जीता था. उसकी पत्नी गांधारी जो देखते हुए देखना नहीं चाहती थी और उसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली. जबकि पत्नी का धर्म है कि यदि पति की आंख नहीं हो तो वह उसका सहारा बने. लेकिन गांधारी ने तो अपने पति की गलती नहीं दिखे, इसलिये पट्टी बांधी थी.
वहीं गांधारी व धृतराष्ट्र ने अपने लगभग बच्चों के नाम दु से रखा. इस कलियुग में भी कोई माता-पिता अपने बच्चों के नाम दु से नहीं रखते हैं. उसी तरह सकुनी जैसे लोग भी हैं जो समाज व घर को फोड़ रहे हैं. लोगों को यह सोचना है कि हम पांडव बनें या कौरव.
गीता के ज्ञान की बह रही गंगा : प्रदीप सोनथालिया
उद्योगपति प्रदीप सोनथालिया ने कहा कि सच में भागवत गीता के ज्ञान की गंगा धनबाद में बह रही है. पहली बार धनबाद में गीता की गंगा स्वयं उतर कर आयी है. यहां पर बैठे सभी लोग अपने मुहल्ले, रिश्तेदार व कॉलोनियों के लोगों को लेकर यहां आयें और इस तीन दिन में अपने लिये कुछ कर लें. भागवत ज्ञान की गीता की गंगा में आप सभी डुबकी लगा लें.
अर्जुन को पुत्र मोह हुआ था’
सोनोटेल गार्डेन में शनिवार की शाम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय के माउंट आबू से आयी उषा दीदी ने गीता रहस्य पर प्रवचन दिया. उन्होंने स्लाइड शो के जरिये विभिन्न प्रसंगों पर रोशनी डाली.
विनाशकाले विपरीत बुद्धि : उषा दीदी ने कहा कि युद्ध के समय अर्जुन व दुर्योधन दोनों भगवान श्री कृष्ण के पास गये. इसके पहले ही दुर्योधन के मामा शकुनी ने भगवान को अपने साथ रखने की बात कही थी. लेकिन दुर्योधन ने भगवान श्री कृष्ण की सेना मांग ली और भगवान अर्जुन के सारथी बने. लेकिन शकुनी को पता था कि भगवान जिधर होंगे, जीत उसी की होगी. लेकिन दुर्योधन के विनाश के समय बुद्धि विपरीत हो गयी थी और यह पूरे महाभारत में देखने को भी मिला.
परिवार की नहीं थी चिंता : उषा दीदी ने बताया कि अर्जुन को अपने परिवार व पूर्वजों की चिंता नहीं, बल्कि पुत्र मोह हुआ था. क्योंकि युद्ध के पहले द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से पूछा था कि हमारे परिवार का क्या होगा. जिस पर भगवान ने कहा था कि आपके पांडव की सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है. फिर उन्होंने अपने बच्चों के बारे में पूछा, जिस पर भगवान ने कुछ नहीं कहा. यह बात अर्जुन को भी पता चल गयी थी और इसी चिंता को लेकर वह युद्ध नहीं करना चाहता था. तब भगवान ने गीता का ज्ञान दिया और अपने भव्य रूप का दर्शन करवाया. तब जाकर अर्जुन युद्ध करने को तैयार हुआ.

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