फूरिडा के साथ नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी इस कार्य के लिए दोषी हैं. जो आरोप है वो मूलत: धोखा-घड़ी तथ्यों को छिपाने एवं कर वंचना से संबंधित है. जो अधिकारी एवं कर्मचारी इस कार्य के लिए दोषी हैं, इनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारंभ करते हुए फौजदाविनोद कुमाररी मुकदमा दर्ज किया जाये.
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वाल्मीकि आवास घोटाले की फिर से होगी जांच
धनबाद : वाल्मीकि आवास घोटाला की फिर से जांच होगी. विभागीय स्तर पर तीन सदस्यीय टीम गठित की गयी है. 275 लाभुकों की सूची जांच टीम को सौंप दी गयी. जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई होगी. बताते चलें कि वाल्मीकि आवास योजना की जांच नगर विकास विभाग की टीम ने वर्ष 2011 में […]
धनबाद : वाल्मीकि आवास घोटाला की फिर से जांच होगी. विभागीय स्तर पर तीन सदस्यीय टीम गठित की गयी है. 275 लाभुकों की सूची जांच टीम को सौंप दी गयी. जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई होगी. बताते चलें कि वाल्मीकि आवास योजना की जांच नगर विकास विभाग की टीम ने वर्ष 2011 में भी की थी. इसके बाद रांची से एजी (महालेखाकार) की टीम ने भी जांच की. जांच में अनियमितता के कई मामले सामने आये. जांच टीम ने योजना में संलिप्त अधिकारी व अभियंता पर एफआइआर की अनुशंसा की. बावजूद आज तक एक भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई.
क्या है मामला : वर्ष 2007 में यह योजना आयी. गरीब लोगों के लिए 426 आवास बनने थे. प्रत्येक आवास पर चालीस हजार रुपया खर्च होना था. आवास बनाने का काम एनजीओ फूरिडा को अग्रिम राशि के रूप में एक करोड़ 38 लाख रुपया दिया गया. कोरंगा बस्ती, गोल्फ ग्राउंड, मंडल बस्ती सहित सभी अंचलों में 204 आवास बनाये गये. इनमें किसी में दरवाजा नहीं तो कुछ की छत नहीं है. दर्जनों आवास का काम आधा अधूरा रह गया. जो ईंट लगी, वह भी घटिया क्वालिटी की. काम पूरा नहीं होने के आलोक में नगर निगम ने फूरिडा से अग्रिम राशि की मांग की. राशि नहीं लौटाने के आलोक में फिर से जांच शुरू की गयी है. इधर, फूरिडा का तर्क है कि 201 आवास के बाद फिर 71 आवास बनाये गये. कुल 275 आवास का निर्माण किया गया. अग्रिम की 28 लाख लौटा दी गयी है.
अनियमितता की पुष्टि, फिर भी कार्रवाई नहीं : वर्ष 2011 में तत्कालीन नगर विकास सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी द्वारा जांच दल का गठन किया गया था. पांच सदस्यीय टीम द्वारा दी गयी रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि की गयी और दोषियों पर एफआइआर की अनुशंसा की गयी. छह साल बीत गये लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी पर एफआइआर नहीं की गयी.
निदेशक ने दिया था एफआइआर का निर्देश : नगर विकास के निदेशक अशोक कुमार मिश्र ने निगम के पदाधिकारी व कर्मचारी पर एफआइआर का आदेश दिया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि अग्रिम को समय सीमा के अंतर समायोजन में व्यापक अनियमितता बरती गयी.
फूरिडा के साथ नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी इस कार्य के लिए दोषी हैं. जो आरोप है वो मूलत: धोखा-घड़ी तथ्यों को छिपाने एवं कर वंचना से संबंधित है. जो अधिकारी एवं कर्मचारी इस कार्य के लिए दोषी हैं, इनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारंभ करते हुए फौजदाविनोद कुमाररी मुकदमा दर्ज किया जाये.
जांच का आदेश मिला है लेकिन काम की व्यस्तता के कारण जांच शुरू नहीं की गयी है. एक-दो दिनों में जांच शुरू की जायेगी. लाभुकों की सूची उपलब्ध करा दी गयी है. जांच टीम में उप नगर आयुक्त भी हैं.
विनोद कुमार, कार्यपालक अभियंता
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