मैंने अपना खाता नंबर न देकर अपनी बेटी की खाते की जानकारी दी. 28 अक्तूबर को मेरे मोबाइल पर आइएम एसबीआइ रामनगर बंगलुरू लिखी शाखा का पैसा नहीं जाने का मैसेज आया. प्रदीप्त के फोन करने पर युवक ने अपना नाम अंकित बताते हुए कहा कि आपकी बेटी का खाता होने से पैसा नहीं जा पाया, इसलिए चेक से पैसा भेजा जाएगा. मगर इसके लिए आपको कुल रकम का पांच प्रतिशत जमा करना होगा. रकम जमा करने के लिए प्रदीप्त को बेगूसराय के सुशील शाह नामक व्यक्ति का खाता नंबर दिया गया, जिसमें उन्होंने 17500 रुपये जमा करवाये. पैसा जमा होते ही अंकित ने दोबारा फोन किया और इस बार संतोष कुमार नामक व्यक्ति का खाता नंबर दिया, इसमें 15 प्रतिशत रुपये और जमा करवाने को कहा. बताया कि इसके बाद आपको चेक के माध्यम से पैसे भेज दिये जाएंगे. प्रदीप्त ने पैसे जमा कर दिया.
इसके बाद अंकित ने 31 अक्तूबर को एक आदमी से बात करवायी जिसने अपने आप को एसबीआइ बंगलुरू का मैनेजर बताया. उसने 14 प्रतिशत और जमा करवाने पर तुरंत पैसे भेज दिए जाने की बात कहीं. प्रदीप्त ने फिर पैसे जमा कर दिये. यह सिलसिला कुछ दिन और चला जिसमें नए नाम और अलग- अलग खाता दे कर इंजीनियर को ठगा गया. आखिरकार पांच नवंबर को जब किसी पप्पू शुक्ला नामक व्यक्ति से उनकी बात हुई तो उसने कहा की तुम्हें ठगा गया है जो कर सकते हो कर लो.