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प्रशासन की ढुलमूल नीति, सुलझ नहीं रहा है नवाटांड़ का मामला

धनबाद. धनबाद जिला की नगरकियारी पंचायत के नवाटांड़ ग्राम में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है. खास तौर से गांव के मंदिर की जमीन पर मुहर्रम के अखाड़ा को लेकर दो संप्रदायों के लोग आमने-सामने हैं. पूरे मामले में प्रशासन की ढुलमूल नीति के कारण तनाव बढ़ता जा रहा है. पिछले वर्ष प्रशासन की […]

धनबाद. धनबाद जिला की नगरकियारी पंचायत के नवाटांड़ ग्राम में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है. खास तौर से गांव के मंदिर की जमीन पर मुहर्रम के अखाड़ा को लेकर दो संप्रदायों के लोग आमने-सामने हैं. पूरे मामले में प्रशासन की ढुलमूल नीति के कारण तनाव बढ़ता जा रहा है. पिछले वर्ष प्रशासन की पहल पर दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ. यह आश्वासन दिया गया कि इस वर्ष मंदिर की जमीन पर मुहर्रम का अखाड़ा होगा और अगले वर्ष से नहीं होगा. इस बीच बीते 16 जनवरी, 2016 को गांव के मंदिर पर कुछ असामाजिक तत्वों ने धावा बोल दिया था. मूर्ति तोड़ी गयी थी.

दोनों तरफ से केस-मुकदमा हुआ. पूरे मामले में पुलिस-प्रशासन की ढुलमूल नीति सामने आयी है.

बीते तीन सितंबर को बरवाअड्डा थाना में हुई बैठक में यह निर्णय हुआ कि मापी कर मंदिर की 81 डिसमिल जमीन अलग कर दी जायेगी, जिसमें मुहर्रम का अखाड़ा नहीं होगा.

इसके बाद 20 सितंबर को बरवाअड्डा थाना में हुई दूसरी बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों को विपरीत बातें करते देखा गया. नवाटांड़ के ग्रामीणों का कहना है कि 1932 में राजा की ओर से 81 डिसमिल जमीन दी गयी थी. इस जमीन के एक हिस्से में मंदिर बनाया गया है. वर्ष 2009 तक मंदिर संचालकों ने जमीन का राजस्व भी दिया है. वर्तमान में जमीन पर कांड न्यायालय में लंबित है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सांप्रदायिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए वे लोग पूर्व में मंदिर की जमीन पर मुहर्रम का अखाड़ा होने देते रहे हैं. लेकिन 16 जनवरी, 2016 की घटना के बाद वे लोग डरे हुए हैं.

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