दोनों तरफ से केस-मुकदमा हुआ. पूरे मामले में पुलिस-प्रशासन की ढुलमूल नीति सामने आयी है.
इसके बाद 20 सितंबर को बरवाअड्डा थाना में हुई दूसरी बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों को विपरीत बातें करते देखा गया. नवाटांड़ के ग्रामीणों का कहना है कि 1932 में राजा की ओर से 81 डिसमिल जमीन दी गयी थी. इस जमीन के एक हिस्से में मंदिर बनाया गया है. वर्ष 2009 तक मंदिर संचालकों ने जमीन का राजस्व भी दिया है. वर्तमान में जमीन पर कांड न्यायालय में लंबित है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सांप्रदायिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए वे लोग पूर्व में मंदिर की जमीन पर मुहर्रम का अखाड़ा होने देते रहे हैं. लेकिन 16 जनवरी, 2016 की घटना के बाद वे लोग डरे हुए हैं.