उसे इसके लिए आर्थिक सहायता देती है. लेकिन सरकार ने कहा कि यदि अपने रिश्तेदार में कोई महिला सरोगेसी करती है, तो उसपर बैन नहीं है. अब सरकार का यह तर्क भी गलत है. क्योंकि बच्चे के आस-पास रहने से घर के माहौल पर इसका भावनात्मक असर पड़ता है. डॉ नेहा प्रियदर्शनी ने कहा कि कई ऐसे केस आ रहे हैं, 50 वर्ष के बाद जो महिलाएं पारिवारिक कारणों से मां बनना चाहती है, लेकिन कानून आ जाने से ऐसे लोग वंचित हो जायेंगे. मौके पर डॉ वीएन चौधरी, डॉ धीरज चौधरी, विजय झा आदि मौजूद थे.
Advertisement
सरोगेसी पर बैन का निर्णय गलत कदम : डॉ मल्होत्रा
धनबाद : सरोगेसी के संदर्भ में पूरी दुनिया में सबसे अच्छा कानून भारत में है, लेकिन वर्तमान सरकार कॉमर्शियल सेरोगेसी को बैन कर रही है. इसके लिए कैबिनेट में चर्चा हुई है. सरकार का यह निर्णय गलत हैं. उक्त बातें इंडियन सोसाइटी ऑफ एसोसिएशन एसेस्ट रिप्रोडक्शन के अध्यक्ष व प्रसिद्ध आइवीएफ विशेषज्ञ डॉ नरेंद्र मल्होत्रा […]
धनबाद : सरोगेसी के संदर्भ में पूरी दुनिया में सबसे अच्छा कानून भारत में है, लेकिन वर्तमान सरकार कॉमर्शियल सेरोगेसी को बैन कर रही है. इसके लिए कैबिनेट में चर्चा हुई है. सरकार का यह निर्णय गलत हैं. उक्त बातें इंडियन सोसाइटी ऑफ एसोसिएशन एसेस्ट रिप्रोडक्शन के अध्यक्ष व प्रसिद्ध आइवीएफ विशेषज्ञ डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने शनिवार को यहां सात्विक आइवीएफ में प्रेस वार्ता में कही. उन्होंने बताया कि सौ में एक प्रतिशत लोगों को सेरोगेसी की जरूरत पड़ती है. ऐसी महिलाएं जो कई कारणों से मां बनने के योग्य नहीं, उसके लिए सेरोगेसी किसी वरदान से कम नहीं है.
सराकर ने विदेशी सेरोगेसी पर बैन लगा दी है, लेकिन देश के अंदर लोग इसका आपस में लाभ लेते हैं, तो इसपर बैन नहीं लगना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरोगेसी का मतलब है तीसरी महिला भ्रूण को कैरी करती है. नौ माह बाद बच्चे को उसके माता-पिता को सौंप दिया जाता है. महिला की देखरेख के लिए एजेंसियां होती है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement