चार दिन भी नहीं चला ट्रैफिक सिगनल
– सुधीर सिन्हा –
धनबाद : 22 लाख के ट्रैफिक लाइट घपले की फाइल क्या गुम हो गयी है! जनता के पैसे का घपला हुआ है, यह सबके सामने है. जांच कमेटी भी बनी. लेकिन जांच रिपोर्ट कहां है इसकी कोई खबर नहीं.
संबंधित अधिकारी मामले को लेकर उदासीन हैं. जबकि मीडिया में यह मामला लगातार उछलता रहा है. जाहिर है कि कोई है जो भ्रष्टाचारियों को बचा रहा है.
मामला ट्रैफिक लाइट का : राष्ट्रीय खेल के लिए 2010 में 22 लाख की लागत से रणधीर वर्मा चौक, बेकारबांध व कंबाइंड बिल्डिंग चौक में ट्रैफिक लाइट लगी. मुश्किल से चार दिन भी लाइट नहीं जली. टाइमिंग सेटिंग में गड़बड़ी बताकर ट्रैफिक लाइट बंद कर दी गयी. आज तक टाइम सेट नहीं हुआ. खंभे जजर्र हो रहे हैं.
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति के लिए आइडिया प्रचार को शो कॉज किया गया और एफआइआर की चेतावनी दी गयी. इधर निगम का तर्क था कि ट्रैफिक लाइट के स्टॉलेशन तक नगर निगम की जिम्मेवारी थी. स्टॉलेशन के बाद ट्रैफिक पुलिस की देखरेख में लाइट जलनी थी. लेकिन ट्रैफिक पुलिस ने इसकी जिम्मेवारी नहीं ली.