धनबाद: प्रवेश कक्षा में एडमिशन के लिए टेस्ट या साक्षात्कार नहीं लेना है. इसलिए स्कूलों ने इसका नाम बदल कर काउंसेलिंग और इंट्रैक्टिव सेशन रख दिया है. इसमें भी बच्चों से टेस्ट व साक्षात्कार लिया जाता है, जो शिक्षा का अधिकार (आरटीइ) का पूरी तरह उल्लंघन है. यह आरोप झारखंड अभिभावक महासंघ के महासचिव मनोज कुमार मिश्र ने लगाया है. उन्होंने बताया कि हमारा संघ मामले में डीएसइ सह आरटीइ के नोडल पदाधिकारी से मिलेगा. हम लिखित शिकायत करते हुए जांच एवं उचित कार्रवाई की मांग करेंगे. प्रवेश कक्षा में एडमिशन कराने जा रहे मासूम बच्चे से कैसे टेस्ट की अपेक्षा की जा सकती है.
डोनेशन लेते हैं स्कूल : महासचिव श्री मिश्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि इंट्रैक्टिव सेशन व काउंसेलिंग के समय स्कूल प्रबंधन अभिभावक का स्टेटस देखते हैं, ताकि उन्हें डोनेशन मिल सके. इस तरह डोनेशन कर आर्थिक शोषण पर भी अविलंब रोक लगनी चाहिए.
परेशान होते हैं अभिभावक : स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से उस वर्ष का बना जन्म प्रमाणपत्र मांग रहे हैं, जिस साल बच्चे का जन्म हुआ है. काउंसेलिंग व इंट्रैक्टिव सेशन संबंधित बच्चे के उम्र की वेरिफिकेशन आदि के नाम पर होता है. इस तरह स्कूल अभिभावकों के साथ अन्याय एवं सरकारी प्रमाणपत्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं. कुछ अल्पसंख्यक निजी स्कूल लॉटरी के बाद भी बैक डोर से एडमिशन लेते हैं. इस पर शिक्षा विभाग पूरी तरह अंकुश लगाये.