धनबाद : कोयला मंत्रालय देश के सवा तीन लाख कोयला मजदूरों के वेज एग्रीमेंट से अब खुद को अलग रखना चाह रहा है. इसका खुलासा कोयला मंत्रालय के अवर सचिव सुजीत कुमार के पत्र से हुआ है. श्री कुमार ने कोल सेक्टर में कार्यरत पांचों केंद्रीय ट्रेड यूनियन के फेडरेशन अध्यक्ष क्रमश: इंटक के राजेंद्र प्रसाद सिंह, एटक के वाई गटैया, बीएमएस के डॉ बसंत कुमार राय, सीटू के वासुदेव आचार्या तथा एचएमएस के नाथूलाल पांडेय को पत्र लिखा है.
उसमें कहा है कि पांचों ट्रेड यूनियन का कॉमन चार्टर ऑफ डिमांड 27 अप्रैल को कोयला मंत्रालय को प्राप्त हुआ है. एनसीडब्लूए का फैसला जेबीसीसीआइ करती है. उसमें कोल इंडिया प्रबंधन व सेंट्रल ट्रेड यूनियन के सदस्य शामिल रहते हैं. कोयला मंत्रालय जेबीसीसीआइ की कोई पार्ट नहीं है और न ही हम इसमें कोई पार्टी हैं, जैसा व्यवहार में है. पत्र में आगे कहा गया है कि सात मार्च 2016 को कोल इंडिया ने जेबीसीसीआइ गठन को लेकर कोयला मंत्रालय को पत्र लिखा था.
19 अप्रैल 2016 को मंत्रालय की ओर से सीआइएल को सूचित किया गया कि आप अपने स्तर से श्रम कानूनों के नियम के तहत इस दिशा में कार्रवाई करे. इस तरह इस पत्र के अनुसार कोयला मंत्रालय ने जेबीसीसीआइ गठन से लेकर दसवां वेतन समझौता करने के लिए एक तरह से कोल इंडिया प्रबंधन को अधिकृत कर दिया है. कोयला उद्योग में वेतन समझौता को लेकर पहली बार कोयला मंत्रालय द्वारा जारी इस पत्र के बाद मजदूर संगठनों में उफान है.
एटक अध्यक्ष रमेंद कुमार ने मंगलवार को इस संदर्भ में कोयला मंत्रालय,भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी सुजीत कुमार को पत्र लिखा है. उसमें सरकार से मांग की गयी है कि वेजबोर्ड एक से लेकर नौ तक कोयला मंत्रालय की सहमति से ही जेबीसीसीआई का गठन होता रहा है. इसलिए सरकार इससे बच नहीं सकती. कोल इंडिया के मजदूरों को भूलाने की कोशिश सरकार मत करे. सरकार जल्द से जल्द जेबीसीसीआई कमेटी का गठन कर कोयला मजदूरों के दसवां वेतन समझौता का लेकर वार्ता का दौर शुरु करे तथा समय सीमा के अंदर वेज समझौता करे, क्योंकि खुद कोयला मंत्री ने भी समय सीमा के अंदर वेज समझौता किये जाने की बात कही थी.