झरिया: रचना की स्वीकार्यता और विश्वसनीयता के लिए अभिव्यक्ति के जोखिम उठाने के साथ काव्यानुभव व जीवनानुभव का एकाकार भी होना भी जरूरी शर्तों में हैं. क विता को इसी खूबी से आयु मिलती है. सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अनिल पांडेय की क विताओं के संदर्भ में कोयलांचल के प्रबुद्ध पाठकों की यह राय प्रकट हुई उनके एकल काव्यपाठ के बाद. मौका था शुक्रवार को हेटलीबांध, झरिया स्थित ‘पीस एंड ज्वॉय’ स्कूल में श्री पांडेय के एकल काव्य पाठ व काव्य गोष्ठी का.
उत्थान की मिशन कविताएं :जनवादी लेखक संघ की ओर से अनिल पांडेय ने विमर्श के लिए अपनी गुलगुलिया समुदाय केंद्रित छह कविताओं का पाठ किया. ‘हमारा भारत’ के संपादक अभिषेक कश्यप ने कहा कि ़गुलगुलिया समुदाय के उत्थान की मिशन कविताएं है. उन्होंने कहा कि चीख में कोई लय नहीं होती. उन्होंने कवि अशोक वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा कि वे सत्ता पक्ष के कवि हैं.
वे दस करोड़ लोगों को स्वर्ग ले जाने की बात करते थे. 90 करोड़ भले ही जिल्लत की जिंदगी जीते रहें. अब वे 90 करोड़ लोगों के हिमायती हो गये हैं. उन्होंने कहा कि कला से बड़ी जिंदगी है. चेखव व कैफी आजमी ने हमेशा दूसरे के लिए संघर्ष किया. कवि ने गुलगुलिया समुदाय की आंतरिक पीड़ा को प्रशासन व सरकार तक पहुंचाने का काम किया है.
छला गया समाज : अनिल अनलहातु ने कहा कि बार-बार गुलगुलिया समाज छला गया. हाशिए से बाहर ला दिये गये इस समुदाय की जीवन स्थितियों में बदलाव के लिए लोक तंत्र में विकल्प ढूंढ़ा जाना चाहिए. शायर रौनक शहरी ने कहा कि पांडेय की कविताओं में गुलगुलियों के कई रूप व्यक्त हुए हैं. उनकी काव्य वस्तु में उपजिव्य के लिए संवेदनशीलता है जिसकी तरलता में पाठक-स्नेता को बहा लेने का गुण है. वक्ताओं में तैयब खान, हसन निजामी, गंगाशरण शर्मा, शहाब अख्तर, इसरार आलम, मुख्तार खान आदि थे. अध्यक्षता अनवर शमीम ने की. संचालन तैयब खान व जियाउर्रहमान ने किया. दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ. इस सत्र में रौनक शहरी ने पतंग भेज कर आसमान में खुश है, अनवर शमीम, अनिल अनलहातु, तैयब खान, उमा, हसन निजामी, शहाब अख्तर, कौसर परवीन ने काव्य पाठ किया. धन्यवाद ज्ञापन आयोजन की अध्यक्षता कर रहे अनवर शमीम ने किया.