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बीसीसीएल: 28.45 प्रतिशत हाई रेट पर मेसर्स जीटीएस को ट्रांसपोर्टिंग कार्य, 50,69,00,597.2 रुपये की लूट
बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया में 88,08,29,200 रुपये का टेंडर एनआइटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर) से 28.45 प्रतिशत हाइ रेट पर (1,1314,08,520 रुपये ) मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स को आवंटित करने के मामले एक और नया तत्थ सामने आया है. इससे बीसीसीएल के सीएमसी विभाग की कमियां उजागर होती है. एक ओर बीसीसीएल को जहां एफडी तोड़ […]
बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया में 88,08,29,200 रुपये का टेंडर एनआइटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर) से 28.45 प्रतिशत हाइ रेट पर (1,1314,08,520 रुपये ) मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स को आवंटित करने के मामले एक और नया तत्थ सामने आया है. इससे बीसीसीएल के सीएमसी विभाग की कमियां उजागर होती है. एक ओर बीसीसीएल को जहां एफडी तोड़ कर अपने कर्मचारियों को वेतन देना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कंपनी के ही कुछ भ्रष्ट अधिकारी ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों के साथ साठ-गांठ कर कंपनी को और आर्थिक नुकसान पहुंचाने में जुटे हैं.
धनबाद: बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया में जहां ट्रांसपोर्टिंग का एक कार्य एनआइटी से 28.45 प्रतिशत हाई रेट पर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स को आवंटित कर दिया गया है. बीसीसीएल के इतिहास में इतने हाई रेट पर ट्रांसपोर्टिंग का कोई भी ठेका (निविदा) आज तक आवंटित नहीं किया गया. ट्रांसपोर्टिंग के इस कार्य की तुलना अगर बीसीसीएल के सीवी एरिया के ट्रांसपोर्टिंग कार्य से करे, जो शिव शक्ति इंटर प्राइजेज को एनआइची से 29.1 प्रतिशत कम रेट पर कार्य आवंटित किया गया है, तो बीसीसीएल को 50,69,00,597.2 रुपये का नुकसान होता दिख रहा है. बीसीसीएल के इस नुकसान के लिए कंपनी में ही पदस्थ भ्रष्ट अधिकारियों की एक जमात की अहम भूमिका बतायी जा रही है.
क्या है मामला
बताते हैं कि बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया के एक ट्रासंपोर्टिंग कार्य के लिए एनआइटी नंबर (बीसीसीएल/सीएमसी/एनआइटी-424/15/822) के तहत 13 जून, 2015 को 88,08,29,200 रुपये का टेंडर सीएमसी विभाग द्वारा एनआइटी रेट से 28.45 प्रतिशत हाइ रेट पर (1,13,14,08,500 रुपये) मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स ट्रांसपोर्टिंग कंपनी को आवंटित कर दिया गया है. जबकि बीसीसीएल के सीवी एरिया में ट्रांसपोर्टिंग का ही एक कार्य एनआइटी नंबर (बीसीसीएल/सीएमसी/सीवी/एनआइटी-1045/16/48) के तहत 18 जनवरी, 2016 को 22,97,59,000 रुपये का टेंडर सीएमसी विभाग द्वारा शिव शक्ति इंटरप्राइजेज को एनआइटी से 29.1 प्रतिशत कम रेट पर 16,29,00,000 रुपये में आवंटित किया गया है. ट्रांसपोर्टिंग के दोनों कार्य की तुलना करे तो बीसीसीएल को करीब 50,69,00,597.2 रुपये का नुकसान होता दिख रहा है.
कोयला मंत्रालय व कोल इंडिया के निर्देशों की अवहेलना
बताते हैं कि बीसीसीएल के सीएमसी विभाग ने कुसुंडा एरिया के 88,08,29,200 रुपये के ट्रांसपोर्टिंग का कार्य 13 जून 2015 को 28.45 प्रतिशत हाइ रेट पर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स को आवंटित किया. उसी दिन सीएमसी विभाग ने बस्ताकोला एरिया के 21,89,66,000 रुपये का ट्रांसपोर्टिंग का टेंडर जेएस ट्रांसपोर्ट को 6.5 प्रतिशत कम रेट पर और कतरास एरिया के 243,19,41,800 रुपये के ट्रांसपोर्टिंग का कार्य मेसर्स एएमपीएल-एनकेएएस को 7.2 प्रतिशत कम रेट पर आवंटित किया गया. कम रेट पर आवंटित किये गये कार्य में कोयला क्रशिंग करना अनिवार्य है, जबकि 28.45 प्रतिशत हाई रेट पर मेसर्स जीटीएस कोल को आवंटित किये कार्य में कोयला क्रशिंग का जिक्र तक नहीं है. कोयला मंत्रालय व कोल इंडिया के नियमानुसार कोयला क्रशिंग करना अनिवार्य है. लेकिन मेसर्स जीटीएस कोल को कार्य आवंटित करते वक्त बीसीसीएल प्रबंधन ने कोयला मंत्रालय व कोल इंडिया के निर्देशों का भी पालन करना जरूरी नहीं समझा.
सवाल-दर-सवाल
बीसीसीएल को 28.45 प्रतिशत हाई रेट पर ट्रांसपोर्टिंग का कार्य आवंटित करने का क्या औचित्य था? जबकि उसी दिन ट्रांसपोर्टिंग के दो अन्य कार्य 7.2 व 6.5 प्रतिशत कम रेट पर आवंटित किये गये हैं.
अगर औचित्य नहीं था तो फिर 88,08,29,200 रुपये के ट्रांसपोर्टिंग का टेंडर 113,14,08,520 रुपये में मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को क्यों आवंटित किया गया? वह भी बिना कोयला क्रशिंग के ही. जबकि उसी दिन कम रेट पर आवंटित किये ठेका में कोयला क्रशिंग अनिवार्य है.
बिना कोयला क्रशिंग के ही टेंडर आवंटित करने से पहले बीसीसीएल प्रबंधन ने कोयला मंत्रालय व कोल इंडिया के निर्देशों का पालन करना क्यों जरूरी नहीं समझा?
कोयला का ट्रांसपोर्टिंग जब कुसुंडा के केडीएस-के साइडिंग करना था, तो फिर उसे बस्ताकोला व लोदना एरिया में क्यों डायवर्ट कर किया गया?
लोदना व बस्ताकोला एरिया को कोयला की जरूरत थी, तो वे कुछ टेंडर निकाल कर कोयला का ट्रांसपोर्टिंग कराना क्यों जरूरी नहीं समझा. जो कुसुंडा का कोयला लोदना व बस्ताकोला एरिया में डायवर्ट कर दिया गया.
दस दिन रुकें, होगी कार्रवाई : डीसी झा
इस मामले में प्रभात खबर ने बीसीसीएल के निदेशक तकनीकी (परिचालन) डीटी झा से भी उनका पक्ष जाने की कोशिश की.
सवाल : कुसुंडा एरिया में कोयला ट्रांसपोर्टिंग का कार्य एनआइटी से 28.45 प्रतिशत हाई रेट पर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स को कैसे आवंटित कर दिया गया?
डीसी झा : दस दिन रुकें, कार्रवाई होगी. मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स को आवंटित किये ट्रांसपोर्टिंग कार्य की विभागीय जांच चल रही है. कंपनी में कुछ गलत होगा तो उस पर कार्रवाई भी अवश्य होगी. जहां तक टेंडर आवंटन की बात है, तो रिवर्स बीडिंग के माध्यम से ट्रांसपोर्टिंग का कार्य आवंटित किया गया है.
दस दिन रुकें, होगी
जिसमें कुसुंडा एरिया के दो ट्रांसपोर्टिंग कार्य एक 28.45 प्रतिशत हाई रेट पर और दूसरा 2.7 प्रतिशत हाई रेट में आवंटित हुए हैं.
सवाल : 28.45 प्रतिशत हाई रेट होने के बावजूद टेंडर को रद्द क्यों नहीं किया गया? जबकि जिस दिन मेसर्स जीटीएस कोल को कार्य आवंटित किया गया, उसी दिन ट्रांसपोर्टिंग के दो अन्य कार्य (बस्ताकोला व कतरास एरिया के लिए) एनआइटी से 6.5 व 7.2 प्रतिशत कम रेट पर आवंटित हुए.
डीसी झा : चूंकि टेंडर रिवर्स बीडिंग के माध्यम से हुआ है, इसलिए रेट बढ़ने से टेंडर को रद्द तो नहीं किया जा सकता है. जहां तक दो अन्य टेंडर की बात है तो बीडिंग में रेट बढ़ना व घटना स्वभाविक है.
सवाल : बिना कोयला क्रशिंग के ही जीटीएस कोल सेल्स को ट्रांसपोर्टिंग का कार्य क्यों आवंटित किया गया?
डीसी झा : उस वक्त कोयला क्रशिंग कर ट्रांसपोर्टिंग का प्रावधान नहीं था, जब से ट्रांसपोर्टिंग में कोल क्रशिंग का प्रावधान अनिवार्य कर दिया गया, तब से की टेंडर में उसे लागू किया गया है.
सवाल : मेसर्स जीटीएस कोल को आवंटित किये कार्य में कोयला की ट्रांसपोर्टिंग केडीएस-के साइडिंग करना था, तो अचानक उसे लोदना व बस्ताकोला एरिया में क्यों डायवर्ट कर दिया गया ?
जवाब : कोयला की क्वांटिटी ज्यादा होने की वजह उसे पास के एरिया वाले बस्ताकोला व लोदना में डायवर्ट किया गया है.
कंपीटेंट ऑथरिटी निर्देश पर हुआ टेंडर : जीएम सीएमसी
मामले पर जब बीसीसीएल के सीएमसी (कांट्रैक्ट मैनेजमेंट सेल) विभाग के महाप्रबंधक एसके दास से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने कहा कि टेंडर कंपीटेंट ऑथरिटी के निर्देश पर हुआ है. इसके अलावा उन्होंने कुछ भी कहने व बतलाने से साफ इनकार कर दिया.
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