धनबाद. सिंफर, धनबाद के सभागार में शुक्रवार को कोयला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की स्वच्छ भारत में भूमिका पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. उद्घाटन मुख्य अतिथि बलिया (यूपी) के सांसद भरत सिंह व अन्य अतिथियों ने किया. मौके पर श्री सिंह ने कहा कि हम तकनीकी विकास में दुनिया के छह-सात देशों में शामिल हैं. कोयला का उपयोग इस्पात, उद्योग, भट्ठों आदि में हो रहा है, जिससे कार्बन का उत्सर्जन होता है.
बिजली की मांग व उत्पादन के अंतर को पाटने के लिए हमें कोयला आयात करना पड़ता है. ऊर्जा के लिए हमें सस्ती व टिकाऊ तकनीक की जरूरत है. मौके पर सांसद पीएन सिंह ने कहा कि एशिया की सबसे प्रदूषित नदी दामोदर का जल लोग पी रहे हैं. अधिकांश जनता को इससे कैसे मुक्ति मिले, इसकी अपेक्षा वैज्ञानिकों से है.स्वच्छ भारत बनाने में वैज्ञानिकों की भी भूमिका हो. पिछड़े लोगों का कौशल विकास हो. मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने कहा कि हम जो विकास कर रहे हैं, वह सस्टेनेबल है या नहीं? धनबाद का कोयला लाखों वर्ष पुराना है. कचरे से तो हम निबट लेंगे, पर वह वायुमंडल में डाल देंगे तो कैसे निबटेंगे. धनबाद व राज्य का सौभाग्य है कि ऐसे संस्थान यहां हैं. आगे आयें और धनबाद को बचायें, हम आपके साथ हैं. प्रो भारत भूषण दर ने कहा कि मार्च महीने में कश्मीर में बर्फ पड़ रही है.
20 दिनों पहले से ही कश्मीर में बर्फबारी हो रही है और हम इसके विटनेस हैं, पर हम केवल दर्शक बने नहीं रह सकते, हम वैज्ञानिक हैं. माइनिंग बदनाम है, पर सिंगरौली में माइनिंग की वजह से ही वन क्षेत्र बढ़ा है. पद्मश्री प्रो राम हर्ष सिंह(बीएचयू) ने कहा कि कोयला उत्खनन व उद्योग का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस ओर भी आप वैज्ञानिकों को सोचना होगा.पर्यावरण प्रदूषण सबसे खतरनाक है. भौतिक सुख के साथ स्वास्थ्य छिनता जा रहा है. दुनिया भर में स्पर्म काउंट कम हो रहे हैं.
नेचुरल साइंस व अध्यात्म दोनों वेद हैं. धर्म व विज्ञान के एक साथ चलने पर ही सफलता मिलेगी. मालवीय जी क्या सोचते थे, इस पर ध्यान दें. हमें विकास की धीमी गति पसंद है, बशर्ते हम स्वस्थ रहें, जो स्वच्छ पर्यावरण से ही संभव है. पद्मश्री प्रो ओएन श्रीवास्तव(बीएचयू) ने कहा कि 158 देशों ने संयुक्त हस्ताक्षर किया है कि 2050 तक दो डिग्री से अधिक तापमान नहीं बढ़ना चाहिए. ऐसा होने पर पक्षियां नहीं रहेंगी. तीन डिग्री से अधिक तापमान बढ़े तो मनुष्य भी विलुप्त हो जायेंगे. कोयला जलाना ही है तो सीओ टू हवा में न जाकर एब्जॉर्व कर लिया जाये. कार्यशाला को सिंफर निदेशक डॉ पीके सिंह, डॉ एलसी राम आदि ने भी संबोधित किया. मंच संचालन डॉ एके सिंह व धन्यवाद ज्ञापन डॉ एनके सिंह ने किया.