धनबाद: मूंछें हों तो नत्थू लाल की तरह वरना न हों. फिल्म शराबी में अमिताभ बच्चन का सह कलाकार के लिए बोला गया यह डॉयलॉग लालजी राम को भी देख कर लोगों की जुबान से बरबस निकल ही जाता है. मूल रूप से औरंगाबाद (बिहार) निवासी लालजी राम धनबाद पुलिस में ट्रैफिक हवलदार हैं. उनकी पहचान उनकी मूंछों से है.
मूंछ वाला बोलने पर होती है खुशी : लालजी राम बताते हैं : 1982 से मूंछ रख रहा हूं. माता-पिता, दादा दादी के निधन पर मूंछ कटवानी पड़ी. इसके अलावा कभी मूंछ कटाने की जरूरत नहीं पड़ी. अभी मूंछ की लंबाई तीन फुट से ज्यादा है. पहली बार बिहार में पीएमसीएच की ओर से वर्ष 1987 में हाजीपुर में आयोजित मूंछ प्रतियोगिता में उन्हें दूसरा स्थान मिला था. और उसी से प्रेरित होकर वह आज तक मूंछ को संभाले रखे हैं. वह कहते हैं-मैं जहां भी नौकरी में गया मेरे जैसा मूंछ वाला एक भी सिपाही नहीं मिला.
कोई भत्ता नहीं मिलता झारखंड में : लालजी राम ने बताया कि सेना में मूंछ रखने पर सरकार जवान को भत्ता देती है, लेकिन झारखंड पुलिस में किसी भी जवान को इस तरह का भत्ता नहीं मिलता है. जबकि कुछ राज्यों में भत्ता का प्रावधान है. अभी तो बिना मूंछ वाले ही जवान दिखते हैं, लेकिन मेरे जमाने में मूंछ रखनी इज्जत की बात थी. पुरस्कार मिलने के बाद मेरी सेवा पुस्तिका में भी इसका उल्लेख किया गया है. मैं बहुत पहले ही अपने नाम के आगे ‘मूंछ वाला’ जोड़ने की गुजारिश कर चुका हूं, लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ.