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सेंट्रल हॉस्पिटल का न्यूरो सजर्री विभाग है कोयलांचल की लाइफ लाइन

धनबाद: बीसीसीएल के सेंट्रल हॉस्पिटल का न्यूरो सजर्री विभाग धनबाद समेत आस-पास के जिलों के लिए लाइफ लाइन है. यहां झारखंड ही नहीं बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के विभिन्न इलाकों से मरीज आते हैं. न्यूरोलॉजी के लिए इस तरह का दूसरा अस्पताल इस क्षेत्र में नहीं है. यहां ओपीडी में ही […]

धनबाद: बीसीसीएल के सेंट्रल हॉस्पिटल का न्यूरो सजर्री विभाग धनबाद समेत आस-पास के जिलों के लिए लाइफ लाइन है. यहां झारखंड ही नहीं बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के विभिन्न इलाकों से मरीज आते हैं. न्यूरोलॉजी के लिए इस तरह का दूसरा अस्पताल इस क्षेत्र में नहीं है. यहां ओपीडी में ही नहीं, इमरजेंसी विभाग में भी प्रतिदिन सड़क दुर्घटना में घायल हेड इंज्यूरी के मरीजों को तांता लगा रहता है. कोलफिल्ड में बहुत बड़ी संख्या में छोटे-बड़े वाहन चलते हैं, जिनकी वजह से छोटी-बड़ी सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इस विभाग में गंभीर रूप से घायल मरीजों की मृत्युदर काफी कम है.

हर महीने 20-30 ऑपरेशन : सेंट्रल हॉस्पिटल के न्यूरो सजर्री विभाग में प्रति सप्ताह 15 से 20 मरीज भरती होते हैं. महीने में 5-10 बड़े और 10-20 चोटे ऑपरेशन होते हैं. कुल 30 बेड के इस वार्ड में अलग से पांच बेड का न्यूरो आइसीयू वार्ड पूरी तरह एसी और आधुनिक उपकरणों से लैस है. विभाग में हेड इंज्यूरी के अतिरिक्त न्यूरों से जुड़े कई गंभीर रोगों का इलाज होता है.

बड़ा ऑपरेशन थिएटर : इस विभाग की एक और खासियत है- इसका अत्याधुनिक उपकरणों से लैस विशाल ऑपरेशन थियेटर. इसमें अत्याधुनिक आपरेटिव माइक्रोस्कोप व कोल्ड लाइट सिस्टम है, जो दूसरे अस्पतालों में नहीं है. यह बड़ा ऑपरेशन थियेटर भी इस हॉस्पिटल को बोकारो स्टील सीटी व दुर्गापुर के अस्पतालों से अलग करता है.

विभागाध्यक्ष डॉ एनआर महापात्र की दक्षता का आलम यह है कि ये ऐसे न्यूरा सजर्न हैं, जिनके पास चिकित्सा विज्ञान की सर्वोच्च डिग्री एमसीएच, न्यूरो सजर्री है. एमसीएच डिग्री प्राप्त इकलौते सजर्न इस अस्पताल की शोभा बढ़ा रहे हैं. डॉ. नरेश प्रसाद, डॉ. बीएन पटनायक व डॉ. पदनजा जैसे सजर्नों की उपब्धता न्यूरो विभाग की महत्वपूर्ण ताकत है.

जब सुखराय के सिर में धंसी कुंडी निकाली गयी
35 वर्षीय सुखराय ट्रक के ऊपर किनारे बैठ यात्र कर रहा था. अचानक असंतुलित होकर नीचे गिरा. दुर्भाग्य से ट्रक के साइड में रस्सी बांधनेवाली कुंडी सिर में धंस गयी. उसे सेंट्रल हॉस्पिटल के इमरजेंसी विभाग में लाया गया, तब सिर में कुंडी धंसी हुई थी. स्थिति काफी गंभीर थी. कुंडी के धंसे हुए हिस्से से मस्तिष्क का अंदरूनी हिस्सा तक बाहर निकला हुआ था. साथ ही मस्तिष्क का अंदरूनी हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. लेकिन आश्चर्य की बात यह कि वह पूरी तरह होश में था. उसे आनन-फानन में सेंट्रल हॉस्पिटल के इमरजेंसी में लाकर न्यूरो सजर्री में भरती किया गया. तुरंत ऑपरेशन कर सिर में धंसी कुंडी निकाली गयी. इस ऑपरेशन में करीब आठ घंटे का समय लगा और इस तरह मरीज बच गया.

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