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आत्मरक्षा के लिए जरूरी है मार्शल आर्ट : रितु

धनबाद: वर्तमान परिवेश में जिस तरह से आये दिन महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं, इससे निदान पाने के लिए अब स्वयं आगे आना होगा. यह मानना है थांग-टा में राष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण व रजत पदक जीत चुकी पंद्रह वर्षीया रितु कुमार का. रितु ने हाल ही में यहां इंडोर स्टेडियम में […]

धनबाद: वर्तमान परिवेश में जिस तरह से आये दिन महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं, इससे निदान पाने के लिए अब स्वयं आगे आना होगा. यह मानना है थांग-टा में राष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण व रजत पदक जीत चुकी पंद्रह वर्षीया रितु कुमार का. रितु ने हाल ही में यहां इंडोर स्टेडियम में आयोजित एशियाई थांग- टा में भी स्वर्ण पदक जीता है.

उसने इस प्रतियोगिता के -65 केजी भार वर्ग में सिंगापुर की चांग सु को हराया. रितु ने कहा कि मार्शल आर्ट सीख कर महिलाएं खुद को सुरक्षित कर सकती है. मार्शल आर्ट से हम सीखते हैं कि कैसे विपक्षी को पस्त किया जा सकता है. शहर की वाच एंड वार्ड कॉलोनी निवासी और दून पब्लिक स्कूल की दसवीं की छात्र रितु ने 2010 में सेंसई रंजीत केसरी की देखरेख में थांग- टा का प्रशिक्षण लेना शुरू किया. 2012 फरवरी में श्रीनगर में आयोजित राष्ट्रीय थांग – टा में उसने – 60 केजी भार वर्ग में झारखंड को रजत पदक दिलाया.

इससे पहले 25 सितंबर 2011 को दून पब्लिक स्कूल धनबाद में आयोजित झारखंड ओपन में 45 केजी भार वर्ग में स्वर्ण जीतकर अपनी पहचान बनायी. फेडरेशन कप 2013 में रितु ने -56 केजी भार वर्ग में स्वर्ण जीतकर भारतीय टीम में अपना स्थान बनाया. अब वह आगामी सितंबर में कोरिया में होने वाले अंतरराष्ट्रीय थांग- टा में देश का प्रतिनिधित्व करेगी. रितु के पिता जर्नादन सिंह यादव आरपीएफ में हेड कांस्टेबल हैं. रितु ने कहा कि पिता उसे हमेशा खेल के लिए प्रोत्साहित करते हैं. लेकिन चोट लगने पर मां दुखी हो जाती है.

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