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आइएसएम: स्टूडेंट्स से इंट्रैक्शन में माइंस सेक्रेटरी बलविंदर ने कहा, क्षमता के अनुरूप ही विषय चुनें
धनबाद. किसी दबाव में नहीं, क्षमता के अनुरूप ही विषय का चयन करें. साइंस के क्षेत्र में स्पर्धा चुनौतीपूर्ण है. इंजीनियरिंग में 13 लाख स्टूडेंट्स के बीच 22 चुनिंदा आइआइटी में सीट की संख्या केवल 10,000 है. एेसी प्रतिस्पर्धा में स्वाभाविक रूप से बड़ी संख्या में छात्रों को अपने साथ समझौता करना पड़ता है. अगर […]
धनबाद. किसी दबाव में नहीं, क्षमता के अनुरूप ही विषय का चयन करें. साइंस के क्षेत्र में स्पर्धा चुनौतीपूर्ण है. इंजीनियरिंग में 13 लाख स्टूडेंट्स के बीच 22 चुनिंदा आइआइटी में सीट की संख्या केवल 10,000 है. एेसी प्रतिस्पर्धा में स्वाभाविक रूप से बड़ी संख्या में छात्रों को अपने साथ समझौता करना पड़ता है. अगर पहले से फोकस सही रखेंगे तो सफलता में परेशानी कम होगी. ये बातें मिनिस्ट्री ऑफ माइंस के सेक्रेटरी बलविंदर कुमार ने कही. श्री कुमार गुरुवार को आइएसएम के गोल्डन जुबली हॉल में इंस्पायर इंटर्नशिप कैंप में शामिल छात्रों के साथ इंट्रैक्शन कर रहे थे.
सरकारी स्कूल में पढ़ कर स्पर्धा में आगे : उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण संस्थानों में शिक्षा लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम होती है. 65-70 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन वहां पढ़ कर भी रिक्शावाले व चपरासी के बच्चे स्पर्धा में आगे निकल जाते हैं. एजुकेशन में फोकस करके अगर आगे नहीं बढ़ेंगे तो स्लीप कर जायेंगे. उन्होंने बिग थिंकिंग, पॉजिटिव थिंकिंग, इनफेरीयर कॉम्प्लेक्स से बचना, गुड हेल्थ, हार्ड वर्क को सफलता का मूल मंत्र बताया.
रिसर्च में कैसे बढ़ें आगे : मौके पर निदेशक डीसी पाणिग्रही ने आइएसएम के इतिहास पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए कोल इंडस्ट्री में ही नहीं, माइनिंग सेक्टर में एकेडमिक परफॉरमेंस के तहत देश के विकास में सहायक आइएसएम परफॉरमेंस पर चर्चा की. साथ ही स्टोरी के माध्यम से छात्रों को रिसर्च डेवलपमेंट के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कई टिप्स दिये. धन्यवाद ज्ञापन को-ऑर्डिनेटर बीके अंटोनी ने किया. मौके पर को-ऑर्डिनेटर एसपी तिवारी सहित आइएसएम के कई अन्य फैकल्टी भी मौजूद थे.
आइएसएम फैकल्टी के साथ की बैठक : आइएसएम के पेनमैन हॉल में फैकल्टी के साथ बैठक में माइंस सेक्रेटरी बलविंदर कुमार ने माइनिंग डेवलपमेंट के क्षेत्र में आइएसएम की प्रशंसा करने के साथ-साथ संशोधित एमएमडीआर एक्ट 2015 को ध्यान में रख कर आगे बढ़ने पर बल दिया. मौके पर मैनेजमेंट स्टडी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद पाठक ने सचिव से सवाल किया कि माइनिंग डेवलपमेंट में सबसे बड़ी बाधा सामाजिक विवादों को लेकर आती है, जिसके लिए सरकार की नीति कारगर नहीं हो पा रही है. सचिव ने बताया कि सामाजिक विवादों का समाधान सदैव ज्यादा मुश्किल वाली होती है, लेकिन सरकार इसके लिए संभव प्रयास से कभी पीछे नहीं हटी. बैठक करीब एक घंटे तक चली. निदेशक प्रो. पाणिग्रही ने उन्हें शॉल ओढ़ा कर तथा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.
कई विभागों का अवलोकन : बैठक के बाद माइंस सेक्रेटरी बलविंदर कुमार ने संस्थान के जियोलॉजी विभाग, माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग, स्टूडेंट्स एक्टिविटी सेंटर आदि का निरीक्षण भी किया. इस अवसर पर उनके साथ निदेशक डीसी पाणिग्रही सहित कई सीनियर फैकल्टी भी मौजूद थे.
भारत के लोकतंत्र का स्वाद चीन में नहीं
कैसे रीच होगा जीडीपी ग्रोथ : देश के जीडीपी ग्रोथ 7.3-7.4 पर सेक्रेटरी श्री कुमार द्वारा जतायी गयी चिंता पर एक स्टूडेंट्स का सवाल था कि इसे रीच कैसे किया जाये. जवाब में श्री कुमार ने कहा कि सर्विस सेक्टर के अलावा एग्रीकल्चर डेवलपमेंट के क्षेत्र में इसे आगे बढ़ना होगा.
भारत को कम न आंकें : एक छात्र का सवाल था कि आबादी के दृष्टिकोण से चीन भारत से आगे है, फिर विकास में भारत के पिछड़ने का क्या कारण है. जवाब था चीन की तुलना में भारत को कम में न आंकें. तकनीकी विकास में चीन भारत से जरूर आगे है, लेकिन यहां के लोकतंत्र का स्वाद चीन में नहीं मिल सकता.
दायित्व व राष्ट्र के प्रति वफादार बनें : एक छात्र का सवाल था कि यूरोप, ब्रिटेन और अन्य दूसरे देश विकसित देशों की श्रेणी में भारत कब और कैसे खड़ा हो सकेगा. जवाब था, भारत वर्षों गुलाम रहा, उस दौरान अन्य देशों की तुलना में हम ज्यादे पिछड़ गये. देश का विकास दर बढ़ रहा है, उस श्रेणी में खड़ा होने के लिए जरूरी है कि लोग अपने दायित्व व राष्ट्र के प्रति वफादार बनें.
रिजर्वेशन पॉलिसी पर झिझके : रिजर्वेशन पॉलिसी से प्रतिभाशाली छात्रों पर हो रहे चोट पर उठाये गये सवाल से बचते हुए सचिव ने गोलमोल जवाब में कहा कि कोई भी पॉलिसी जनहित को ध्यान में रखकर लायी जाती है. एेसे विवादों का समाधान उपरी स्तर पर डिबेट के माध्यम से होना चाहिए.
तीन शिक्षाविद्ों ने ली क्लास : कैंप में तीसरे दिन गुरुवार को गोल्डेन जुबली हॉल में जिन शिक्षाविदों ने स्कॉलर छात्र-छात्राओं का क्लास ली, उसमें मुख्य रूप से प्रो. बीबी भट्टाचार्य ने जर्नी टू अंटैरिक्टका : साइंस एंड एडवेंचर, प्रो. समर बागची ने डोमेंस्टेशन ऑफ एक्जस्टिंग साइंस एक्सपेरिमेंट तथा प्रो. डी मुखर्जी ने दी इनफैट अर्थ लैब ऑफ अप्लायड जियोलॉजी की क्लास ली.
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