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बीसीसीएल: किसने दी थी नीलामी को दुबारा शुरू करने की अनुमति?

धनबाद: हाइकोर्ट ने बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया स्थित एना मेगा प्रोजेक्ट के 1694,84,38,224 रुपये (करीब 1700 करोड़ रुपये) का आउटसोर्सिंग कार्य आरके ट्रांसपोर्ट को दिये जाने के मामले में बीसीसीएल उच्च प्रबंधन को सभी संवाद और इ-नीलामी की स्वच्छता व पारदर्शिता के लिए अपनायी गयी प्रणाली का खुलासा करने का आदेश दिया है. इसके लिए […]

धनबाद: हाइकोर्ट ने बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया स्थित एना मेगा प्रोजेक्ट के 1694,84,38,224 रुपये (करीब 1700 करोड़ रुपये) का आउटसोर्सिंग कार्य आरके ट्रांसपोर्ट को दिये जाने के मामले में बीसीसीएल उच्च प्रबंधन को सभी संवाद और इ-नीलामी की स्वच्छता व पारदर्शिता के लिए अपनायी गयी प्रणाली का खुलासा करने का आदेश दिया है. इसके लिए बीसीसीएल उच्च प्रबंधन को तीन सप्ताह का समय दिया गया है.

इस चर्चित मामले की सुनवाई के लिए हाइकोर्ट ने एक दिसंबर की तिथि मुकर्रर की है. बीते चार नवंबर को झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. जस्टिस श्री चंद्रशेखर ने कहा कि प्रतिवादी बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से दायर हलफनामे से इसका खुलासा होना चाहिए कि 1.03 बजे नीलामी प्रक्रि या बाधित होने के बाद क्या बीसीसीएल के किसी अधिकारी ने इ-नीलामी को दुबारा शुरू करने की अनुमति दी थी? क्या बीसीसीएल अपने स्तर से अकेले प्रणाली के बाधित होने के बाद इ-नीलामी को दुबारा शुरू कर सकता है?

क्या है मामला
नौ मार्च, 2015 को बीसीसीएल उच्च प्रबंधन की ओर से एना मेगा प्रोजेक्ट से कोयला खनन को लेकर ग्लोबल टेंडर निकाला गया. इ-टेंडर के तहत हुई इस नीलामी प्रक्रिया की जिम्मेदारी बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ को दी गयी थी. सी-1 इंडिया की ओर से कराये गये इस ग्लोबल इ-टेंडर में कुल नौ संवेदकों (बिडिंग कंपनियां) ने भाग लिया. इनमें सात कंपनियों को तकनीकी रूप से सही करार देते हुए बिडिंग के लिए चयनित किया गया.

अंतिम दौर में पांच मई, 2015 को रिवर्स बिडिंग के दौरान मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम कंपनी ने 12.33 बजे अंतिम बोली लगायी. मेसर्स एएमआर देव प्रभा के प्रोपराइटरों का कहना है कि उनकी ओर से अंतिम बोली लगाने के 30 मिनट बाद 1.03 बजे सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ ने बोली समाप्ति घोषित कर दी. चूंकि करीब 30 मिनट तक मेसर्स एएमआर देव प्रभा निर्विरोध न्यूनतम निविदादाता था. ऐसे में मेसर्स एएमआर देव प्रभा की बोली स्वीकार की जानी चाहिए थी, उन्हें ही एल-वन (न्यूनतम निविदादाता) घोषित किया जाना चाहिए था और आगे की औपचारिकता के लिए उन्हें ही आमंत्रित किया जाना चाहिए था. इसके विपरित सी-1 इंडिया ने पुन: रिवर्स बिडिंग करायी और आरके ट्रांसपोर्ट को एल-वन घोषित कर दिया. पांच मई, 2015 को 1.03 बजे बोली समाप्ति घोषित करने के बाद सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ ने पुन: रिवर्स बिडिंग के पीछे तकनीकी खराबी का तर्क दिया है, जो पूरी तरह से निराधार है. कारण उस वक्त किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई थी. यह बात अन्य बिडर भी स्वीकार करते हैं.’’ मेसर्स एएमआर देव प्रभा के प्रोपराइटरों का आरोप है कि ‘‘बीसीसीएल उच्च प्रबंधन के दबाव में ‘सी-1 इंडिया’ ने पुन: रिवर्स बिडिंग करायी. इसके पीछे आरके ट्रांसपोर्ट को लाभ पहुंचाने का मकसद रहा.’’

सही नहीं था उल्टी नीलामी को दुबारा चालू करने का निर्णय : बीसीसीएल उच्च प्रबंधन द्वारा एना मेगा प्रोजेक्ट के 1694,84,38,224 रुपये का आउटसोर्सिग कार्य गलत तरीके आरके ट्रांसपोर्ट को दिये जाने का आरोप लगाते हुए मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम कंपनी ने बीसीसीएल के इंडिपेंडेंट एक्सटर्नल मॉनिटर (आइइएम) व सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी एन चतुर्वेदी से शिकायत की थी.

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