कतरास. कतरास केशलपुर कुम्हार पट्टी में गुरुवार को एसपी राकेश बंसल की पत्नी मेघना बंसल पहुंची. संध्या चार बजे जैसे ही एसपी का काफिला कुम्हार पट्टी पहुंचा, लोग हक्के-बक्के रह गये. वाहन से उतरते ही श्रीमती बंसल सीधे चाक में बनाये जा रहे मिट्टी के सामानों के पास रूक गयी. वे एक कुम्हार के चाक पर मिट्टी से दीये बनाने का प्रयास करने लगी. कुम्हार से कुछ सवाल-जवाब किये. फिर दूसरे कुम्हारों के यहां चली गयी. करीब एक दर्जन से अधिक कुम्हारों के यहां जाकर श्रीमती बंसल ने मिट्टी से बनाये जा रहे सामानों की जानकारी ली.
यहां 150 कुम्हारों का परिवार रहता है. अधिकांश लोग मिट्टी के दीये सहित अन्य सामान बेचकर ही अपना जीवन-यापन करते हैं. एक महिला ने श्रीमती बंसल से कहा-‘हमलोग काफी गरीब हैं. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई नहीं कर पाते हैं.’ श्रीमती बंसल ने कहा कि सरकारी विद्यालय है, उसमें पढ़ायें और बच्चों को होनहार बनायें. मौके पर एसपी समेत कतरास सर्किल इंसपेक्टर परमेश्वर प्रसाद, श्रीनिवास पासवान आदि थे.
मिट्टी से मूर्ति बनाना एक कला : प्रभात खबर से बातचीत में श्रीमती बंसल ने कहा कि कुम्हारों को प्रमोट करने के उद्देश्य से यहां आयी. समाज को लगना चाहिए कि उनकी यह कला आज भी जीवित है. मिट्टी से मूर्ति बनाना एक कला है. इस कला को लोग भूलते जा रहे हैं. खुद मेरा बेटा नहीं जानता है कि मिट्टी की मूर्ति क्या होती है? इस कला से वह अनजान है. इसलिए अपने पुत्र को भी इस कला को दिखाने के लिए और उसे इसकी जानकारी देने के लिए साथ लायी हूं. श्रीमती बंसल ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को खुद बचानी होगी. इस दीपावली पर हरेक घरों में मिट्टी के दीये जलाये जाये, ताकि अपनी संस्कृति के साथ-साथ फाकाकशी की जिंदगी जी रहे कुम्हारों के घरों में भी दीये जल सकें.