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Friday, March 29, 2024

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प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में 5.71 करोड़ की गड़बड़ी, 901 लाभुकों की जगह 9526 लोगों का हुआ फर्जी भुगतान

901 लाभुकों की जगह 9526 लोगों को फर्जी तरीके से भुगतान किया गया है. यह फर्जीवाड़ा करीब 5.71 करोड़ का है. अनुमान है कि जांच होने पर यह गड़बड़ी 11 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है.

रंजीत सिंह, बाघमारा : धनबाद सदर प्रखंड में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की राशि फर्जी लाभुकों को ट्रांसफर कर करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा करने का मामला सामने आया है. जानकारी के अनुसार, 901 लाभुकों की जगह 9526 लोगों को फर्जी तरीके से भुगतान किया गया है. यह फर्जीवाड़ा करीब 5.71 करोड़ का है. अनुमान है कि जांच होने पर यह गड़बड़ी 11 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है. दरअसल, पूरा खेल सदर प्रखंड की तत्कालीन सीडीपीओ पूर्णिमा कुमारी के यूजर आइडी का इस्तेमाल कर खेला गया है. जिला समाज कल्याण विभाग के सूत्रों की मानें, तो राज्य मुख्यालय की वार्षिक ऑडिट टीम के आने की सूचना पर जब कागजात दुरुस्त किये जाने लगे, तो गड़बड़ी का पता चला.

उच्चाधिकारियों को कराया अवगत : गड़बड़ी का पता चलने पर सीडीपीओ ने 25 अगस्त 2021 को मामले से डीसी संदीप सिंह, डीडीसी दिनेश चंद्र दास और अपर समाहर्ता (विधि-व्यवस्था) एवं राज्य समाज कल्याण विभाग के निदेशक को अवगत कराया. इससे पहले विभाग ने 28 जुलाई 2021 को योजना की लाभुकों की जांच के आदेश दिये. सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिका ने मामले की संयुक्त रूप से जांच की.

इससे पूर्व महिला पर्यवेक्षिका ने नोडल महिला पर्यवेक्षिका के माध्यम से कार्यालय में उपलब्ध फॉर्म के बारे में जानकारी दी. इसमें कहा गया कि स्वीकृत लाभुकों की संख्या 10427 है, जबकि मात्र 901 आवेदनों का भौतिक सत्यापन हुआ. ये आवेदन 18 जून 2020 से वर्तमान समय तक के हैं. नोडल पर्यवेक्षिका को इससे पूर्व के स्वीकृत आवेदनों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

मामला संज्ञान में आने के बाद उपायुक्त ने अपर समाहर्ता (विधि-व्यवस्था) से इसकी समीक्षा करवायी. उन्होंने विशेष निर्देशित टूल के आधार पर जांच करने को कहा. जब सीडीपीओ अर्चना सिंह ने निर्देशित तथ्यों एवं प्रक्रिया के आधार पर पुन: जांच की, तो योजना के क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी पायी गयी.

100 प्रतिशत से 800 प्रतिशत की अप्रत्याशित प्रविष्टि : सीडीपीओ ने विभाग को लिखी अपनी रिपोर्ट में इस बात की आशंका जतायी है कि आंगनबाड़ी सेविकाओं को अंधेरे में रख कर इस वित्तीय अनियमितता को अंजाम दिया गया. सेविकाओं का कहना है कि विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना से संबंधित पंजी में मात्र उन आवेदनों का उल्लेख किया गया है, जो उनके द्वारा किया गया है, जबकि संबंधित साइट पर कुछ सेविकाओं की आइडी एफएफ (आइडेंटिफिकेशन फील्ड फंक्शनरी) में 100 प्रतिशत से 800 प्रतिशत की अप्रत्याशित प्रविष्टि की गयी है. इसकी जानकारी सेविकाओं को नहीं थी.

नयी प्रभारी को क्यों नहीं दे रहे थे यूजर आइडी : यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अर्चना सिंह ने इस वर्ष आठ फरवरी को धनबाद सदर प्रखंड की सीडीपीओ का प्रभार लिया था, लेकिन उन्हें यूजर आइडी और पासवर्ड पांच महीने बाद 11 जुलाई को मिला. इससे पूर्व अवैध तरीके से फर्जी लाभुकों को भुगतान करने का सिलसिला जारी था. श्रीमती सिंह को आइडी मिलते ही अवैध भुगतान बंद हो गया. इससे पहले प्रभारी सीडीपीओ यूजर आइडी और पासवर्ड नहीं मिलने पर विभाग की वरीय अधिकारी से चार बार पत्राचार कर चुकी थीं.

यही नहीं, जब ये चार्ज लेने गयीं तो उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा था. 11 जुलाई को यूजर आइडी मिलने के बाद इनसे भी आइडी की मांग कुछ लोगों ने की थी. ये लोग कौन हैं, इसका पता नहीं चला है. बताया जाता है कि घपले में शामिल लोगों ने निरसा, बाघमारा और बेरमो क्षेत्र की भी गलत एंट्री की है. यानी वहां भी बड़े पैमाने पर अवैध भुगतान किया गया है.

बड़े घोटाले की आशंका : अगर मामले की गंभीरता से जांच हो, तो घोटाला परत दर परत खुलता जायेगा. विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पहले चरण की खोजबीन में लगभग 17000 फर्जी लाभुकों को पैसा भुगतान की बात सामने आयी है. हालांकि इस तथ्य को काेई स्वीकार नहीं रहा है. वैसे भी 10427 लाभुकों में से मात्र 901 के ही सही होने की बात कही जा रही है. ऐसे में 9526 लाभुक फर्जी हैं.

6000 रुपये प्रत्येक लाभुक के हिसाब से देखा जाये, तो यह राशि पांच करोड़ इकहत्तर लाख छप्पन हजार रुपये बनती है. विभाग की मानें, तो घोटाले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गयी है. इसमें डीडीसी दिनेश चंद्र दास, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेहा कश्यप और धनबाद सदर की प्रभारी सीडीपीओ अर्चना सिंह शामिल हैं.

जानें क्या है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना : काम करनेवाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देना और उनका उचित आराम और पोषण सुनिश्चित करना योजना का मुख्य उद्देश्य है. इस योजना से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले जीवित बच्चे के जन्म के दौरान फायदा होता है. सरकार योजना लाभ की राशि 6000 रुपये लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे ऑनलाइन भेजती है. पहली किस्त में 1000 रुपये गर्भावस्था के पंजीकरण के समय दिये जाते हैं.

दूसरी किस्त में 2000 रुपये यदि लाभार्थी छह महीने की गर्भावस्था के बाद कम से कम एक प्रसवपूर्व जांच कर लेती हैं, तब दिये जाते हैं. तीसरी किस्त में 2000 रुपये, जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और बच्चे को बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी और हेपेटाइटिस बी सहित पहले टीके का चक्र शुरू हो जाता है, तब मिलते हैं. एक हजार रुपये जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत संस्थागत प्रसव के उपरांत मिलते हैं.

  • पूर्व सीडीपीओ पूर्णिमा कुमारी का यूजर आइडी व पासवर्ड इस्तेमाल कर हस्तांतरित हुए पैसे

  • धनबाद सदर प्रखंड का मामला, निरसा, बाघमारा और बेरमो में भी की गयी गलत इंट्री

  • योजना के तहत जरूरतमंद महिला को तीन किस्तों में दिये जाते हैं 6000 रुपये

  • ऑडिट टीम आने की सूचना पर जब कागजात दुरुस्त होने लगे, तब चला गड़बड़ी का पता

यह भी जानें

  • 377 आंगनबाड़ी केंद्र हैं सदर प्रखंड में

  • 17 हजार से अधिक हो सकती है फर्जी लाभुकों की संख्या

  • प्रभारी सीडीपीओ अर्चना सिंह ने खुद की पड़ताल, तो होते गये खुलासे

वर्तमान प्रभारी सीडीपीओ अर्चना सिंह ने सदर प्रखंड के सभी 377 आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को इससे जुड़े कागजात जमा करने के लिए कहा था. जब सेविकाओं ने अपने केंद्र की लाभुकों की सूची ऑनलाइन निकलवाने के लिए साइबर कैफे का रुख किया, तो पता चला कि आठ लाभुकों की जगह 800 लाभुकों को भुगतान किया गया है.

सेविकाओं ने इन 800 लाभुकों की सूची में से खुद की अनुशंसित लाभुकों की सूची अलग कर उसे सीडीपीओ कार्यालय को सौंप दिया. इस तरह सभी केंद्रों की सेविकाओं ने कुल 901 लाभुकों की सूची विभाग को दी. इन्हीं में से एक सेविका ने सीडीपीओ को गड़बड़ी से अवगत कराया. अर्चना सिंह स्वयं धनबाद शहर से बाहर एक साइबर कैफे में हकीकत जानने गयीं.

उस सेविका ने अपने केंद्र पर मात्र आठ लाभुकों के भुगतान की अनुशंसा की थी, जबकि भुगतान पानेवाली लाभुकों की असल संख्या सैकड़ों में थी. यह देखकर सीडीपीओ ने करीब 70 आंगनबाड़ी केंद्रों की खुद जांच की. जब इन केंद्र की सेविकाओं से सीडीपीओ ने अलग-अलग बुला कर बात की, तो उन लोगों ने बताया कि बिना उनकी अनुशंसा के फर्जी लाभुकों को भुगतान कर दिया गया है.

Posted by: Pritish Sahay

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