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…तो सरकारी डॉक्टर दे देंगे इस्तीफा
धनबाद : स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को मुखिया से हाजिरी बनाने व छुट्टी लेने संबंधी सरकार का आदेश निंदनीय है. हम इसका विरोध करते हैं. 25 अक्तूबर को रांची में मुख्यमंत्री का घेराव करेंगे. मांगों को मुख्यमंत्री ने नहीं माना, तो सारे सरकारी चिकित्सक इस्तीफा दे देंगे. आइएमए, झासा के आंदोलन का पुरजोर समर्थन करता […]
धनबाद : स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को मुखिया से हाजिरी बनाने व छुट्टी लेने संबंधी सरकार का आदेश निंदनीय है. हम इसका विरोध करते हैं. 25 अक्तूबर को रांची में मुख्यमंत्री का घेराव करेंगे. मांगों को मुख्यमंत्री ने नहीं माना, तो सारे सरकारी चिकित्सक इस्तीफा दे देंगे. आइएमए, झासा के आंदोलन का पुरजोर समर्थन करता है.उक्त बातें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. एके सिंह ने रेड क्रास भवन ने प्रेस कांफ्रेंस में कही.
उन्होंने कहा कि झारखंड में चिकित्सकों की घोर कमी है. कोई यहां काम नहीं करना चाहता, सरकार के कानून से जो चिकित्सक बचे हैं, वह भी पलायन कर जायेंगे. फिलहाल आइएमए के राज्य भर में दसहजार से अधिक सदस्य हैं. मौके पर आइएमए के सचिव डाॅ. सुशील कुमार, उपाध्यक्ष डाॅ. विकास हाजरा मौजूद थे.
गांव की राजनीति का हो जायेंगे शिकार : डाॅ. सिंह व डाॅ. कुमार ने कहा कि चिकित्सक का पेशा स्वतंत्र व बिना किसी दबाव के काम करने वाला है. गांव में कई राजनीतिक पार्टियां व गुट होते हैं. चिकित्सक गांव की राजनीतिक का शिकार हो जायेंगे. एक गुट अपनी तरह से तो दूसरा गुट अपनी तरह से काम करना चाहेगा. चिकित्सक बंधुआ मजदूर हो जायेंगे. कुछ लोगों का कहना है कि चिकित्सक अपने केंद्र या ड्यूटी स्थल पर नहीं आते हैं, इसलिए कानून लाया हैं, लेकिन अब तो बायोमैट्रिक से हाजिरी बनती है, ऐसे में चिकित्सक गायब नहीं रह सकता है. सरकार चिकित्सकों की जरूरत के मुताबिक बहाली करे. समस्याएं खुद खत्म हो जायेगी.
आइएएस गुट कर रहा राज्य को बरबाद : पदाधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को आइएएस गुट बरबाद कर रहा है. प्रधान सचिव जैसे पद पर किसी वरिष्ठ चिकित्सक को होना चाहिए. चिकित्सकीय पेशा व मरीजों की परेशानी को एक चिकित्सक बेहतर समझ सकता है, लेकिन झारखंड के साथ दुर्भाग्य है कि पूरे राज्य को यही लोग अपने तरीके से चला रहे हैं. वहीं दूसरे राज्यों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो भी काम या निर्णय लिये जाते हैं, उसमें सरकार आइएमए के पदाधिकारियों को रखती हैं. लेकिन झारखंड में सरकार ऐसा नहीं करती है.
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