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बीसीसीएल में 1961 अप्रेंटिस एक्ट की अनदेखी
धनबाद: धनबाद कोयलांचल की पहचान बीसीसीएल से है. बीसीसीएल को देश में मिनी रत्न कंपनी होने का गौरव भी प्राप्त है, लेकिन इस कंपनी में वर्षों से 1961 अप्रेंटिस एक्ट का पालन नहीं हो रहा. नतीजतन धनबाद के हजारों आइटीआइ पास कंपनी में अप्रेंटिसशिप से वंचित हैं. कंपनी में अप्रेंटिस के लिए अनुमति नहीं मिलने […]
धनबाद: धनबाद कोयलांचल की पहचान बीसीसीएल से है. बीसीसीएल को देश में मिनी रत्न कंपनी होने का गौरव भी प्राप्त है, लेकिन इस कंपनी में वर्षों से 1961 अप्रेंटिस एक्ट का पालन नहीं हो रहा. नतीजतन धनबाद के हजारों आइटीआइ पास कंपनी में अप्रेंटिसशिप से वंचित हैं. कंपनी में अप्रेंटिस के लिए अनुमति नहीं मिलने से युवाओं में रोष है. यदि सभी सार्वजनिक प्रतिष्ठान बीसीसीएल के रास्ते पर चलने लगें तो प्रधानमंत्री के स्किल्ड इंडिया का सपना कैसे साकार होगा?
क्या है 1961 अप्रेंटिस एक्ट : इस एक्ट के तहत देश के तमाम सरकारी, गैर सरकारी, सार्वजनिक उपक्रमों को कुल श्रम शक्ति का 10 प्रतिशत अप्रेंटिस बहाल करना है. उद्देश्य क्षेत्र के गरीब कम पढ़े-लिखे आइटीआइ पासआउट बच्चों को अपने उद्योग में अप्रेंटिस एक्ट के तहत ट्रेनिंग करा कर उन्हें कुशल बनाना है. स्किल्ड इंडिया के सपने को साकार करने वाले इस एक्ट के लिए स्पष्ट सरकारी नियम है. प्रावधान के अनुसार इसमें खर्च होने वाली आधी राशि सरकार देती है और आधी प्रतिष्ठान को खर्च करनी होती है. बीसीसीएल में 55000 मैनपावर है. इस तरह 10 प्रतिशत, यानी 5500 आइटीआइ पासआउट को कंपनी में अप्रेंटिसशिप का चांस मिलना चाहिए था, जो नहीं हो पा रहा है.
पड़ोसी प्रतिष्ठान कर रहे हैं पालन : बीसीसीएल को छोड़ पड़ोस के प्रतिष्ठान सेल, टिस्को, एमपीएल आदि संस्थान इस एक्ट का पालन कर रहे हैं.
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