धनबाद. देश की भावी शिक्षा नीति कैसी हो और वह देश को किस तरफ लेकर जायेगी. इस पर मंथन का वक्त है. इसके लिए 33 विषय हैं, जिसमें 20 उच्च शिक्षा एवं 13 स्कूली शिक्षा के हैं. प्रारंभिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बुनियाद है. साथ ही गुणवत्तायुक्त शिक्षा भी जरूरी है. ये बातें नयी दिल्ली एनसीइआरटी से आये प्रो फारूख अंसारी ने कही. वे सिंफर के सभागार में बुधवार को नयी शिक्षा नीति पर आयोजित जिला स्तरीय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कहा कि दूसरा विषय माध्यमिक शिक्षा है, जो प्रारंभिक व उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी है.
आरएमएसए से हम चीजों को कितना बेहतर बना पाये हैं एवं स्कूलों में बच्चों की पहुंच में गैप क्यों है, इसे भी देखना होगा. 15-18 वर्ष के बच्चों को तैयार करने में हमें कौन-कौन सी विधियां अपनानी होगी, सभी स्कूलों में समान पाठ्यक्रम लागू हो, बच्चे अपना विषय चुन सकें तो किस स्तर तक इन सभी बातों पर विचार करने की जरूरत है. कार्यक्रम में इन बिंदुओं पर शिक्षाविदों, शिक्षकों, विशेषज्ञों आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे. मौके पर वीएन सिंह, भुवनेश्वर से बीएन पांडा, राज्य संयोजक आर मोहालिक, माध्यमिक शिक्षा निदेशक अरविंद विजय विलुंग, डीइओ धर्म देव राय समेत कई जिलों के डीइओ मौजूद थे.
11 बिंदुओं पर 11 टीमें : कार्यक्रम में 11 बिंदुओं पर 11 टीमें बनायी गयी. हर टीम में 11-15 लोगों को शामिल किया गया था. इन टीमों के सदस्यों ने प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, वर्तमान परीक्षा पद्धति में बदलाव चाहते हैं या नहीं, शिक्षण प्रशिक्षण कैसा हो एवं शिक्षक कैसे हों, आइसीटी (तकनीक) का उपयोग, टीचिंग एड, समावेशी शिक्षा, भाषाओं का प्रोत्साहन, कला एवं संस्कृति के माध्यम से शिक्षा का विकास, बाल स्वास्थ्य आदि पर अपने-अपने सुझाव दिये.