धनबाद: बेकारबांध स्थित गुप्तेश्वर अपार्टमेंट निवासी नंद लाल अग्रवाल की मां सरस्वती देवी 70 के दशक की पूजा के बारे में बताती हैं तो सबसे ज्यादा महंगाई का जिक्र करती हैं.
वह एक धर्म परायण महिला हैं. पिछले कई वर्षो से प्राय: मौन रहती हैं. अपनी यादों को उन्होंने लिख कर प्रभात खबर के साथ शेयर किया. बकौल सरस्वती देवी तब इस तरह की न तो महंगाई थी और न ही इतनी भीड़ भाड़. हम लोग भौंरा में रहते थे. भौंरा दुर्गा मंदिर में पूजा करने जाती थी. उस समय चार दिन में दस रुपये खर्च होते थे.
उसी रुपये में प्रसाद, फूल, अगरबत्ती व मां के वस्त्र हो जाते थे. लेकिन अब तो चार दिन की पूजा में लगभग एक हजार रुपया खर्च हो जाते हैं. उस समय पूरे भौंरा में दो स्थान पर ही दुर्गा पूजा होती थी.