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रिश्वतखोरी में दो वर्ष की कैद

धनबाद: सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश तृतीय गोपाल कुमार राय की अदालत ने मंगलवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में बीसीसीएल की इस्ट भगतडीह कोलियरी के लिपिक कमलेश्वर प्रसाद को पीसी एक्ट की धारा 7- 13 (2) सह पठित 13 (1) (डी) में दोषी पाकर दो वर्ष की कैद व तीन हजार रुपये जुर्माना की सजा […]

धनबाद: सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश तृतीय गोपाल कुमार राय की अदालत ने मंगलवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में बीसीसीएल की इस्ट भगतडीह कोलियरी के लिपिक कमलेश्वर प्रसाद को पीसी एक्ट की धारा 7- 13 (2) सह पठित 13 (1) (डी) में दोषी पाकर दो वर्ष की कैद व तीन हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. फैसला सुनाये जाने के वक्त सीबीआइ के वरीय लोक अभियोजक कपिल मुंडा अदालत में मौजूद थे. बाद में अदालत ने सजायाफ्ता को झारखंड उच्च न्यायालय में अपील याचिका दायर करने के लिए अंशकालिक जमानत दे दी.
क्या है मामला
चुन्नी लाल पासी इस्ट भगतडीह कोलियरी में कार्यरत थे. कंपनी से अवकाश ग्रहण करने के बाद उन्होंने पेंशन भुगतान के लिए प्रबंधन के पास आवेदन दिया. आरोपी लिपिक ने पेंशन फाइल प्रोसेस करने के एवज में बतौर रिश्वत के रुप में 1200 रुपये की मांग की. श्री पासी ने इसकी सूचना सीबीआइ को दी. 22 सितंबर 05 को सीबीआइ ने लिपिक को 1200 रुपये रिश्वत लेते धर दबोचा. केस के आइओ ने 17 नवंबर 05 को आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किया. केस विचारण के दौरान अभियोजन ने दस गवाहों की गवाही करायी. यह मामला आरसी केस नंबर 12/05 से संबंधित है.
बार अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष के खिलाफ संज्ञान
धनबाद बार एसोसिएशन में पिछले दिनों हुई लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले की सुनवाई मंगलवार को न्यायिक दंडाधिकारी प्रताप चंद्रा की अदालत में हुई. अदालत ने बार अध्यक्ष कंसारी मंडल, महासचिव देवीशरण सिन्हा व कोषाध्यक्ष मधुसूदन चक्रवर्ती के खिलाफ भादवि की धारा 406, 420,120 (बी) के तहत संज्ञान लिया. साथ ही अदालत ने शिकायतकर्ता हरिहर प्रसाद को आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए अदालत में सम्मन दाखिल करने का भी आदेश दिया. अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 20 जुलाई 15 तय कर दी. बता दें कि मनईटांड़ निवासी अधिवक्ता हरिहर प्रसाद ने 05 जनवरी 15 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में बार के तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ शिकायतवाद संख्या 42/15 दर्ज कराया था. शिकायतकर्ता के बयान के अलावा गवाह के रूप में राधेश्याम गोस्वामी व प्रयाग महतो ने अपना बयान अदालत में दर्ज कराया. शिकायतवाद में यह आरोप है कि 16 सितंबर 12 व वर्ष 2013- 14 की अवधि में बार एसोसिएशन के कोष से एक करोड़ पचीस लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता का उजागर ऑडिट रिपोर्ट के माध्यम से हुआ है. बार महासचिव देवीशरण सिन्हा ने अदालत के कदम का स्वागत किया. साथ ही मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही.
छेड़खानी मामले में महिला ने अदालत में दी गवाही
छेड़खानी के एक मामले की सुनवाई मंगलवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नीरज कुमार श्रीवास्तव की अदालत में हुई. अदालत में साक्षी सूचक झरिया की महिला ने अपनी गवाही दी. उसने अदालत को बताया कि यह घटना 10 फरवरी 07 की है. उस वक्त मैं अकेली थी. मेरी बेटी पड़ोस में टीवी देखने गयी थी. राधेश्याम गोस्वामी मेरे घर में आया, मैं देख कर घबरा गयी. वह हमको देख कर हंसने लगा. अपना शर्ट उतार कर मेरी साड़ी का पल्लू खींच कर बोला कि हमको स्वामी समझो, हम पर सीपी केस किया है उसे उठा लो. बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनिल बनर्जी ने गवाह का प्रति परीक्षण कराया. प्रति परीक्षण के दौरान महिला प्राथमिकी दर्ज कराने में चालीस दिन का विलंब क्यों हुआ, इसका जवाब नहीं दे सकी. उसने मकान से संबंधित पूर्व में चल रहे विवाद को भी स्वीकार किया. यह मामला जीआर केस नंबर 845/07 से संबंधित है.
गाली-गलौज के बाद बंद कमरे में हुई गवाही : जब इस मामले की सुनवाई अदालत में चल रही थी, उस वक्त ऐसा माहौल कायम हुआ, जिससे अधिवक्ताओं की गरिमा तार तार हो गई. दो अधिवक्ताओं के बीच गालियों की इतनी बौछार हुई कि अदालत व उसके बाहर खड़े लोग हतप्रभ रह गये. विवश होकर अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा और फिर बंद कमरे में पीड़िता की गवाही पूरी हुई.

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