14 करोड़ खर्च कर 70 बसें मंगायी गयी. प्रथम चरण में 24 बसों का परिचालन शुरू किया गया. भूतपूर्व कल्याण समिति की देखरेख में बसें चली. लेकिन दो माह के अंदर समिति ने हाथ खड़े कर दिये. इसके बाद जेसीडीसी ने बस संचालन की बागडोर संभाली. 70 में मुश्किल से 35-40 बसों का संचालन हुआ. कुछ बसें गैरेज में खड़ी-खड़ी सड़ गयी. कंपनी व बस चालकों के आपसी विवाद के कारण महीनों बस नहीं चल पायी. धीरे-धीरे बसों का परिचालन कम होता गया. दिसंबर 2013 के अंत तक बसों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया.
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क्या शहर में चल पायेंगी सिटी बस!
धनबाद: सिटी बस का परिचालन पिछले डेढ़ साल से ठप है. मेंटेनेंस के लिए तीन बार टेंडर निकाला गया. लेकिन किसी भी कंपनी ने भाग नहीं लिया. राज्य निर्वाचन आयोग की अनुमति के बाद फिर से चौथी बार टेंडर निकाला गया है. टर्म ऑफ कंडीशन में कुछ संशोधन किया गया है. निगम प्रशासन को उम्मीद […]
धनबाद: सिटी बस का परिचालन पिछले डेढ़ साल से ठप है. मेंटेनेंस के लिए तीन बार टेंडर निकाला गया. लेकिन किसी भी कंपनी ने भाग नहीं लिया. राज्य निर्वाचन आयोग की अनुमति के बाद फिर से चौथी बार टेंडर निकाला गया है. टर्म ऑफ कंडीशन में कुछ संशोधन किया गया है. निगम प्रशासन को उम्मीद है कि इस बार टेंडर में कई कंपनी भागीदारी निभायेगी. बताते चले कि तामझाम के साथ नौ अगस्त 2010 में नगर बस सेवा शुरू की गयी.
नो लॉस-नो प्रोफिट पर चलाने की है योजना
जेसीडीसी के हाथ खड़े करने के बाद निगम ने बसों के परिचालन की बागडोर संभाली. नो लॉस नो प्रोफिट पर बस चलाने का निर्णय लिया गया. बस मेंटेनेंस के लिए नगर निगम ने तीन बार टेंडर निकाला. लेकिन एक भी कंपनी टेंडर में भाग नहीं लिया. लिहाजा बस डिपो में खड़ी-खड़ी बसें सड़ रही है.
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