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बीसीसीएल के निदेशक तकनीकी अशोक सरकार ने कहा

मनोहर कुमार धनबाद : बीसीसीएल के निदेशक तकनीकी (योजना व परियोजना) अशोक सरकार ने 2002 में बतौर प्रोजेक्ट ऑफिसर्स के रूप में बीसीसीएल के एरिया वन (बरोरा) के मुराईडीह से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. कालांतर में वह बरोरा एरिया के महाप्रबंधक, फिर कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक बने. 25 अगस्त 2011 को उन्हें बीसीसीएल […]

मनोहर कुमार
धनबाद : बीसीसीएल के निदेशक तकनीकी (योजना व परियोजना) अशोक सरकार ने 2002 में बतौर प्रोजेक्ट ऑफिसर्स के रूप में बीसीसीएल के एरिया वन (बरोरा) के मुराईडीह से अपने कैरियर की शुरुआत की थी.
कालांतर में वह बरोरा एरिया के महाप्रबंधक, फिर कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक बने. 25 अगस्त 2011 को उन्हें बीसीसीएल का निदेशक तकनीकी बना दिया गया. श्री सरकार 31 जनवरी 2016 को सेवानिवृत्त होंगे. 13 वर्षो के अपने कार्य काल में उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं और आज बीसीसीएल जिस जगह पर खड़ी है उसमें श्री सरकार का भी काफी योगदान है.
उनके कार्यकाल में जितनी भी पुरानी मशीनें जो बेकार थी, उसे बदल कर नयी मशीनें लायी गयी. आज कंपनी का उत्पादन बढ़ते-बढ़ते 36.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो गया है और 2019-2020 तक इसे बड़ा कर 55 मिलियन टन प्रतिवर्ष करने का लक्ष्य है. प्रभात खबर से बातचीत में अशोक सरकार ने कंपनी की मौजूदा स्थिति पर खुल कर बातचीत की. प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश.
बीआइएफआर से निकल कर मुनाफे में
‘जब मैंने कंपनी ज्वाइन की थी, उस वक्त बीसीसीएल की माली हालत काफी खराब थी. कंपनी बीआइएफआर में थी. प्रोडक्शन अच्छा नहीं था. आज इसमें काफी ग्रोथ आया है. कंपनी आज करोड़ों का मुनाफा दे रही है. इसके लिए काफी चीजों में बदलाव किया गया है.
कंपनी आज जिस मुकाम पर पहुंची है उसमें कंपनी के मुखिया डॉ टीके लाहिड़ी के मार्गदर्शन व कुशल नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका है. पहले की अपेक्षा औद्योगिक संबंधों काफी सुधार आया है. आज एक मजदूर भी अपनी समस्या को लेकर कंपनी के उच्च अधिकारी से सीधे बात कर सकता है. नतीजतन कंपनी चहुंमुखी विकास कर रही है.’
जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी समस्या
‘आज नयी परियोजना शुरू करने में सबसे बड़ी बाधा जमीन अधिग्रहण की है. कंपनी को जमीन अधिग्रहण में काफी परेशानी होती है. क्योंकि जमीन के कई रैयत (जमीन मालिक) हो जाते हैं. जमीन किसी एक व्यक्ति की नहीं होती है. जमीन काफी छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटी होती है. इस कारण काफी परेशानी होती है. जमीन के अभाव में परियोजनाओं को बंद तक करना पड़ता है. जमीन अधिग्रहण में परेशानी न हो इस के लिए भी कई बिंदुओं पर कार्य चल रहा है.’
कम मिल रही है कीमत
‘इंटरनेशनल कोल प्राइस के माध्यम कोयले का रेट तय होता है. पहले इसका रेट 200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन था. वर्तमान में घट कर 70 से 80 डॉलर प्रति टन हो गया है. जिस कारण बीसीसीएल को कोयले का रेट काफी कम मिल रहा है. बीसीसीएल की वाशरियां काफी पुरानी हो गयी है. इस कारण वाशरी को जितना कोयला धोना चाहिए उतना नहीं धो पा रही है. बीसीसीएल की वाशरीयां जिस ग्रेड का कोयला धोती है, उस ग्रेड का कोयला वर्तमान में नहीं मिल पा रहा है.’
तीन नये अंडर ग्राउंड प्रोजेक्ट पर चल रहा है काम
‘बीसीसीएल तीन नयी अंडर ग्राउंड प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. जिनमें मुराइडीह, ब्लॉक टू व कपूरिया शामिल है. इन तीनों परियोजनाओं के शुरू होने से बीसीसीएल अपने उत्पादन लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा, जो कंपनी के लिए काफी लाभप्रद होगा.’

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