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कोलकाता वेयर के निदेशक का घर कुर्क
निरसा : नन बैंकिंग कंपनी कोलकाता वेयर ऑफ इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर रतन कुमार भुइंया के आवास पर सीआइडी की टीम ने बुधवार को कुर्की-जब्ती की. सीआइडी ने उक्त कार्रवाई न्यायालय के आदेश पर निरसा थाना क्षेत्र की इसीएल महताडीह आवासीय कॉलोनी स्थित आवास पर की. भुइंया के खिलाफ निवेशकों का पैसा हड़पने का आरोप है. […]
निरसा : नन बैंकिंग कंपनी कोलकाता वेयर ऑफ इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर रतन कुमार भुइंया के आवास पर सीआइडी की टीम ने बुधवार को कुर्की-जब्ती की. सीआइडी ने उक्त कार्रवाई न्यायालय के आदेश पर निरसा थाना क्षेत्र की इसीएल महताडीह आवासीय कॉलोनी स्थित आवास पर की.
भुइंया के खिलाफ निवेशकों का पैसा हड़पने का आरोप है. सीआइडी ने वर्ष 2013 में निरसा जीटी रोड के किनारे चल रही उक्त कंपनी कार्यालय को सील कर मामला दर्ज किया था. तब से भुइंया सहित अन्य फरार चल रहे हैं. इसके पूर्व भी सीआइडी द्वारा उसके आवास पर आत्म समर्पण के लिए कोर्ट द्वारा जारी इश्तिहार चिपकाया गया था.
लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी सीआइडी को रतन भुइंया का कोई ठोस पता हाथ नहीं लग पाया. कुर्की के दौरान घर में भुइंया के पिता गोपाल मांझी व अन्य उपस्थित थे. श्री मांझी ने गत दो वर्षो से अपने पुत्र के साथ किसी प्रकार का कोई संपर्क व संबंध से साफ इनकार किया है.
सीआइडी टीम व निरसा पुलिस जब्त सामानों को मालवाहक व एक ट्रैक्टर पर लाद कर थाना लाया गया. उनके घर से चार पलंग, एक एलसीडी टीवी, नोट जांच करने की एक मशीन, एक फ्रीज, गैस चूल्हा व सिलेंडर, दो इन्वाइटर व चार बैटरा, एक आलमीरा, वैक्यूम क्लीनर, पंखा, स्टील व पीतल के बरतन सहित अन्य जब्त किये गये हैं.
अब रतन होगा इनामी घोषित
कुर्की जब्ती करने आये सीआइडी इंस्पेक्टर विनोद कुमार ने कहा कि अगर न्यायालय द्वारा तय सीमा के तहत रतन कुमार भुइंया आत्म समर्पण नहीं करते हैं तो उन्हें फरार घोषित कर उनका सूचना देने वाले को कोर्ट के नियम के तहत इनामी घोषित किया जायेगा. इसके बाद भी यदि वे पकड़े नहीं जाते हैं सरेंडर नहीं करते हैं तो उनकी चल-अचल संपत्ति को इडी की प्रक्रिया के तहत जब्त कर लिया जायेगा.
निरसा में कार्रवाई
निरसा : कोलकाता वेयर ने धूम धड़ाके के साथ बाजार में कदम रखा था. वर्ष 2011 में इसका कार्यालय निरसा में एनएच किनारे खोला गया. इसी वर्ष आमार जीबन नाम से वाटर पैकेजिंग यूनिट का उद्घाटन बैड मैन के रूप में मशहूर गुलशन ग्रोवर ने किया था.
इस कार्यक्रम में एक हजार से अधिक एजेंट व अधिकारियों ने भाग लिया था. कंपनी ने निवेशकों की आंखों में धूल झोंकने के लिए वाटर यूनिट के साथ एंबुलेंस सेवा की भी शुरुआत की. कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चला. परंतु जब निवेशकों का पैसा नहीं मिला, तो बवाल बढ़ने लगा.
इसी क्रम में 2012 में सीआइडी ने कंपनी कार्यालय को सील करते हुए कंपनी पर केस(कांड संख्या 286/12) दर्ज कर खोजबीन शुरू कर दी. कंपनी ने शुरुआती दौर में काफी खर्च किया. कंपनी का कार्यालय झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा आदि प्रदेशों में खोला गया. कंपनी ने इन राज्यों से करोड़ों की उगाही की. परंतु निवेशकों को कुछ नहीं मिला. जीटी रोड में चोपड़ा के पास आमार जीबन प्लांट भी बंद हो गया.
इसीएल कर्मी थे पिता
रतन भुईयां के पिता गोपाल मांझी सेवानिवृत्त इसीएल कर्मी थे. उनका कहना है कि सेवानिवृत्त के बाद सारा पैसा बेटा को दे दिया. अब तो कुछ नहीं बचा. स्थिति यह कि केस होने के बाद से बेटा से संपर्क नहीं हो पा रहा है. वह कहां यह भी उन्हें नहीं पता.
एजेंट व डायरेक्टर हुए मालामाल
कंपनी के एजेंट व डायरेक्टर मालामाल हो गया. एजेंट को तो 35-40 फीसदी कमीशन दिया जाता था. जो एजेंट साइकिल से चलते थे, देखते ही देखते उनके पास दुपहिया व चार पहिया वाहन आ गया. डायरेक्टर भी लोगों के पैसे पर खूब ऐश किया. रतन के पास भी कई महंगी गाड़ियां थी. जिसका प्रयोग अन्य राज्यों में कार्यालय देख रेख के लिए करता था.
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