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प्रबंधन को और एक झटका
धनबाद: टेक्सटाइल मार्केट मामले में जिला समाहर्ता सह उपायुक्त कृपा नंद झा ने मार्केट प्रबंधन की अपील खारिज कर दी. उन्होंने भी मानी है कि उक्त जमीन जिला परिषद की है. उन्होंने सीओ दिनेश रंजन के फैसले को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीओ के यहां सुनवाई हुई थी. सीओ ने उक्त […]
धनबाद: टेक्सटाइल मार्केट मामले में जिला समाहर्ता सह उपायुक्त कृपा नंद झा ने मार्केट प्रबंधन की अपील खारिज कर दी. उन्होंने भी मानी है कि उक्त जमीन जिला परिषद की है. उन्होंने सीओ दिनेश रंजन के फैसले को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीओ के यहां सुनवाई हुई थी. सीओ ने उक्त मार्केट की जमीन को जिला परिषद का ठहराया था. इसके बाद प्रबंधन ने जिला समाहर्ता के न्यायालय में अपील की थी. दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए जिला समाहर्ता ने आदेश लंबित रखा था और उन्होंने अपील खारिज कर दिया.
जिप ने की थी तालाबंदी : विदित हो कि हाइकोर्ट के निर्देश के बाद मार्च, वर्ष 2011 में उक्त मार्केट सहित शहर के कई संस्थान एवं प्रतिष्ठान में जिला परिषद ने तालाबंदी कर दी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में टेक्सटाइल मार्केट प्रबंधन ने अपील की थी. चूंकि जमीन का पूरा अभिलेख अंचल कार्यालय में होता है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई सबसे निचली अदालत यानी सीओ के यहां करने को कहा था. सीओ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कर्मचारी से इसकी पूरी पड़ताल करवायी और अपना फैसला जिल परिषद के पक्ष में दिया.
होगा आपत्ति का निष्पादन : जिला समाहर्ता ने निर्णय पर आपत्ति की स्थिति में जिला समाहर्ता के न्यायालय में 15 दिनों के अंदर अपील करने को कहा था. इसके बाद मार्केट प्रबंधन ने जिला समाहर्ता के यहां अपील की. तत्कालीन उपायुक्त प्रशांत कुमार के समय ही अपील की गयी थी. उसके बाद चुनाव आ गया और फिर उनका तबादला हो गया. नये जिला समाहर्ता श्री झा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और फैसला लंबित रखा था. बुधवार को उन्होंने प्रबंधन की अपील को खारिज कर दिया. अब मामले की सुनवाई 12 मई को सुप्रीम कोर्ट में होगी.
क्या कहते हैं डीडीसी : नये डीडीसी अशोक कुमार सिंह ने कहा कि लोगों से सुना है. अभी जब तक फैसले की प्रमाणित प्रति नहीं आ जाती तब तक कुछ भी कहना संभव नहीं है.
प्रबंधन का कहना है : इधर टेक्सटाइल प्रबंधन के सुरेश खेतान ने कहा कि फैसले की प्रति अभी देखी नहीं है. फैसले के अध्ययन के बाद ही आगे की रणनीति तय होगी. वकीलों से मशविरे के बाद आगे का निर्णय लिया जायेगा.
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