दोनों सजा एक साथ चलेगी. फैसले के वक्त अदालत में न तो रामधीर सिंह उपस्थित थे और न ही उनके अधिवक्ता. अभियोजन की ओर से एपीपी ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह व सूचक के निजी अधिवक्ता सीएस प्रसाद, सहदेव महतो मौजूद थे. यह पहला मौका है जब सिंह मैंशन से जुड़े किसी शख्स को उम्रकैद की सजा मिली है. जबकि माफिया घरानों के वर्चस्व की लड़ाई में कोयलांचल की धरती कई बार लाल हुई है. रामधीर सिंह झरिया विधायक स्व. सूरजदेव सिंह के सबसे छोटे भाई हैं.
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विनोद सिंह हत्याकांड में सजा: रामधीर सिंह को उम्रकैद
धनबाद: बहुचर्चित विनोद सिंह व मन्नू अंसारी हत्याकांड में शनिवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सप्तम निकेश कुमार सिन्हा की अदालत ने जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष और बलिया (यूपी) जिला परिषद के अध्यक्ष रामधीर सिंह (55) को भादवि की धारा 302 में उम्र कैद व आर्म्स एक्ट की धारा 27 में तीन वर्ष […]
धनबाद: बहुचर्चित विनोद सिंह व मन्नू अंसारी हत्याकांड में शनिवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सप्तम निकेश कुमार सिन्हा की अदालत ने जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष और बलिया (यूपी) जिला परिषद के अध्यक्ष रामधीर सिंह (55) को भादवि की धारा 302 में उम्र कैद व आर्म्स एक्ट की धारा 27 में तीन वर्ष कैद की सजा सुनायी.
घटनाक्रम एक नजर में
15 जुलाई 98 को विनोद सिंह अपनी निजी गाड़ी से सुबह साढ़े आठ बजे घर से कार्यालय जा रहे थे, तभी कतरास बाजार शहीद भगत सिंह चौक के पास आपराधियों ने उनकी गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग की. विनोद सिंह व उनके चालक मन्नू अंसारी की मौत हो गयी.
हत्याकांड के बाद मृतक के भाई दून बहादुर सिंह ने कतरास थाना में बच्चा सिंह, रामधीर सिंह व राजीव रंजन सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. लेकिन केस के आइओ रामनाथ तिवारी ने अपना अनुसंधान पूरा कर चार आरोपी शेर बहादुर सिंह, रामधीर सिंह, बच्चा सिंह व अनिल यादव के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया. इस केस में बच्चा सिंह व रामधीर सिंह ही ट्रायल फेस कर रहे थे.
तीन अप्रैल 04 को अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित किया था.
अभियोजन की ओर से एपीपी ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने साक्षी दून बहादुर सिंह, सत्येंद्र सिंह, मनोज सिंह, सुधीर कुमार, देवाशीष घोषाल, डॉ उमा शंकर सिंह (तिलाटांड़), तपन कुमार, फरीदा खातून, डॉ विनोद कुमार, डॉ शैलेंद्र कुमार, आइओ रामनाथ तिवारी, सुधीर कुमार सिंह व नवल कुमार सिंह समेत 19 साक्षियों का परीक्षण कराया था. सात साक्षियों ने दंप्रसं की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया था.
अंतत: नहीं हुए हाजिर
अदालत ने रामधीर को 9 अप्रैल को उनकी अनुपस्थिति में ही उपरोक्त दोनों धाराओं में दोषी करार दिया था, जबकि उनके अग्रज पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को बरी कर दिया था. सजा के बिंदु पर 16 अप्रैल की तिथि निर्धारित की गयी थी. लेकिन आरोपी रामधीर सिंह उस तारीख को भी नहीं आये. 18 को उनकी अनुपस्थिति में ही सजा सुनायी गयी.
फांसी दिलाने के लिए हाइकोर्ट जायेंगे : दून
कोर्ट के फैसले से संतुष्ट हैं. मेरी आंखों के सामने मेरे भाई की हत्या की गयी. दो भाई व पाहुन (बहनोई) का मर्डर हुआ. इस कमी की पूर्ति संभव नहीं है. कोर्ट से हत्या करने वालों को फांसी होनी चाहिए. बच्चा सिंह के बरी होने के खिलाफ और रामधीर की सजा फांसी में बदलने के लिए हाइकोर्ट जायेंगे.
(दून बहादुर सिंह, स्व. विनोद सिंह के भाई)
चुनौती देंगे : इंदु
फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे. फिलहाल, वे (रामधीर सिंह) बीमार हैं. धनबाद से बाहर इलाज करवा रहे हैं. सुरक्षा कारणों से अभी अस्पताल व स्थान का नाम नहीं बता सकती. ठीक होने के बाद हाइकोर्ट जायेंगे. कोर्ट पर पूरा भरोसा है. सिंह मैंशन ने हमेशा कानून का सम्मान किया है.
(इंदु देवी, मेयर और रामधीर की पत्नी)
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