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बीसीसीएल के डॉक्टर को तीन साल की सजा

धनबाद. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश चतुर्थ एसके पांडेय की अदालत ने शुक्रवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में अपना फैसला सुनाते हुए बीसीसीएल के कुस्तौर केंद्रीय अस्पताल के पूर्व डॉक्टर बैकुंठ चरण चौधरी को पीसी एक्ट की धारा सात सह पठित भादवि की धारा 120बी में दोषी पाकर तीन वर्ष की सश्रम कैद व दस […]

धनबाद. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश चतुर्थ एसके पांडेय की अदालत ने शुक्रवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में अपना फैसला सुनाते हुए बीसीसीएल के कुस्तौर केंद्रीय अस्पताल के पूर्व डॉक्टर बैकुंठ चरण चौधरी को पीसी एक्ट की धारा सात सह पठित भादवि की धारा 120बी में दोषी पाकर तीन वर्ष की सश्रम कैद व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. जुर्माना राशि अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी पड़ेगी. फैसले के वक्त सीबीआइ के वरीय लोक अभियोजक कपिल मुंडा अदालत में मौजूद थे. बाद में अदालत ने सजायाफ्ता को अंशकालिक जमानत दे दी.

क्या है मामला : बीसीसीएल कर्मी क्यूम मियां कुस्तौर कोलियरी में स्टोविंग मजदूर के पद पर कार्यरत है. उसने मेडिकल बिल को सर्टिफाइ करने के लिए डॉक्टर बैकुंठ चरण चौधरी को दिया. श्री चौधरी ने उक्त बिल को वरीय फार्मासिस्ट हरिहर सिंह के मार्फत देने को कहा. आरोपी डॉक्टर व फार्मासिस्ट ने एक साजिश के तहत बिल पास करने के एवज में चार सौ रुपये बतौर रिश्वत की मांग की.
क्यूम ने 20 सितंबर, 95 को इसकी शिकायत सीबीआइ एसपी धनबाद से की. सीबीआइ ने जाल बिछा कर 21 सितंबर, 95 को आरोपी डॉक्टर व फार्मासिस्ट को रिश्वत लेने के आरोप में धर दबोचा था. फार्मासिस्ट हरिहर सिंह का निधन हो गया. केवल आरोपी डॉक्टर बैकुंठ चरण चौधरी ट्रायल फेस कर रहे थे. अभियोजन की ओर से सीबीआइ ने एके झा, टीजे घोष, आइओ एनएमपी सिन्हा समेत ग्यारह गवाहों का परीक्षण कराया. यह मामला आरसी केस नंबर -19/95 डी से संबंधित है.

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