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अब डीजीपीएस से मापी जायेगी जमीन

धनबाद: जमीन मापी के पुराने तरीके मसलन इंच- टेप व चेन से निजात मिल सकती है. इससे जमीन के सीमांकन को लेकर होने वाले विवाद का भी निबटारा करने में मदद मिलेगी. अब एक ऐसी मशीन आ गयी जो जमीन मापी के काम को बेहद आसान कर देगी. इसके परिणाम भी इतने सटीक कि आप […]

धनबाद: जमीन मापी के पुराने तरीके मसलन इंच- टेप व चेन से निजात मिल सकती है. इससे जमीन के सीमांकन को लेकर होने वाले विवाद का भी निबटारा करने में मदद मिलेगी. अब एक ऐसी मशीन आ गयी जो जमीन मापी के काम को बेहद आसान कर देगी. इसके परिणाम भी इतने सटीक कि आप कोई सवाल ही खड़े नहीं कर सकते. आइएसएम के माइनिंग सर्वेयिंग सेक्शन के पास स्वीडन की डिफेरेंसियल ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) उपलब्ध है, जो जमीन मापने के काम को सफलतापूर्वक अंजाम देगी.

बीस लाख लागत है : लाइका जीए -12 नाम के इस उपकरण की कीमत बीस लाख है. पुराने तरीकों की वजह से जमीन की मापी में काफी समय लगता था. विवाद भी खड़े होते थे. इस उपकरण के जरिये आप मिनटों में यह पता लगा सकते हैं कि जमीन की सीमा कहां से कहां तक है. माइनिंग सर्वेयिंग डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट प्रो. धीरज कुमार के अनुसार अभी केंद्र सरकार ने खदानों की लीज होल्ड एरिया निर्धारित करना अनिवार्य कर दिया है. इस उपकरण के जरिये इसे बेहद कारगार तरीके से किया जा सकेगा.

झारखंड सरकार ने भी प्रस्ताव दिया है : प्रो. कुमार के अनुसार- झारखंड सरकार ने भी राज्य में जमीन के सीमांकन में सहयोग मांगा है. राज्य सरकार की ओर से पहल की गयी है. संस्थान प्रस्ताव को लेकर गंभीर है. इस उपकरण के जरिये राज्य में जमीन सीमांकन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया जा सकता है. मालूम हो कि राज्य में जमीन विवाद की वजह से अधिग्रहण में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके कई बड़े प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं.

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