उस वक्त शिक्षकों के पास पैसे नहीं थे, इसलिए स्कूल प्रबंधन ने तत्काल पैसे भेजे, तब जाकर डॉक्टर ने इलाज किया. लेकिन इस बीच करीब 25 मिनट का समय बीच चुका है. छात्र का नाम आकाश कुमार सिंह है, जो आठवीं (सेक्शन बी) में पढ़ता है. स्कूल में खेलने के दौरान दीवार से टकरा कर उसके सिर में चोट लग गयी और ब्लीडिंग हो रही थी.
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पैसे मिलने पर ही किया छात्र का इलाज
धनबाद: सिर में चोट लगने के बाद सोमवार को सेंट्रल अस्पताल पहुंचे दिल्ली पब्लिक स्कूल के एक छात्र के इलाज को लेकर काफी किचकिच हुई. बच्चे के साथ गये लोगों का कहना है कि डॉक्टर ने इलाज करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि बच्च बीसीसीएल परिवार का नहीं है. जब शिक्षकों ने […]
धनबाद: सिर में चोट लगने के बाद सोमवार को सेंट्रल अस्पताल पहुंचे दिल्ली पब्लिक स्कूल के एक छात्र के इलाज को लेकर काफी किचकिच हुई. बच्चे के साथ गये लोगों का कहना है कि डॉक्टर ने इलाज करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि बच्च बीसीसीएल परिवार का नहीं है. जब शिक्षकों ने दबाव बनाया तो पैसे देने को कहा गया.
दूसरी जगह कराया इलाज : आकाश के पिता राजीव कुमार सिंह, जो कि एक व्यवसायी हैं, का कहना है कि जो डॉक्टर केवल नन बीसीसीएल के कारण बच्चे का इलाज करने से पहले मना कर सकते हैं, उनके इलाज से संतोष कैसे होता. इसलिए फिर से नर्सिग होम में बच्चे का इलाज कराया. हालांकि डॉक्टर ने बताया कि आकाश ठीक है. बीसीसीएल और नन बीसीसीएल क्या होता है. पैसा ही चाहिए तो गाजिर्यन देंगे ही. कम से कम फस्र्ट एड तो करो.
बिल्कुल गलत हुआ : स्कूल प्राचार्य केबी भार्गव ने बताया कि पहले बच्चे का ट्रीटमेंट होना चाहिए. यह बिल्कुल गलत है. जो भी बात थी बाद में हो जाती. हॉस्पिटल गया है बच्च तो पहले इलाज करना चाहिए डॉक्टर को.
आयोग से करेंगे शिकायत : झारखंड अभिभावक महासंघ के महासचिव मनोज मिश्र ने बताया कि मामले में कल सीएमओ से हमारा एक प्रतिनिधिमंडल मिलेगा और संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की जायेगी. मामले को संघ बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष ले जायेगा.
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