धनबाद: दो जजर्र कमरे, एक बरामदा और इसमें छह-छह ड्रग इंस्पेक्टर. यह हाल है धनबाद के ड्रग कार्यालय का. धनबाद के लगभग 14 सौ व बोकारो के एक हजार लाइसेंसी दवा दुकानों पर नियंत्रण तो दूर, खुद ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय की अपनी स्थिति नहीं सुधर पा रही है.
पहले एक ड्रग इंस्पेक्टर के जिम्मे धनबाद व बोकारो जिला था. बहाली होने पर दोनों जिलों के लिए तीन-तीन ड्रग इंस्पेक्टर तो आये, लेकिन दवा दुकानों पर नियंत्रण न पहले होता था, न अब हो रहा है. लिहाजा कई प्रतिबंधित दवाओं को मेडिकल स्टोर्स वाले नियमों को ताक पर रखकर दे रहे हैं.
एक साथ नहीं बैठ सकते बोकारो के पदाधिकारी : सबसे खराब स्थिति बोकारो के कार्यालय की है. यहां एक अति संकरे कमरे को ही कार्यालय बना दिया गया है. इसमें एक टेबल के साथ एक ही कुर्सियां हैं. इस कारण एक बार यहां एक पदाधिकारी ही बैठ सकते हैं. चाह कर भी तीन पदाधिकारी एक साथ नहीं बैठ सकते हैं. दूसरी ओर, आम लोगों के लिए लगायी कई कुर्सियां बरामदें में ही सड़ रही हैं. अलमारी बाहर बरामदे में ही रखी गयी है. इसमें कई महत्वपूर्ण कागजात है.
औषधि निगरानी का पालन नहीं : धनबाद व बोकारो की दवा दुकानों में औषधि निगरानी भी नहीं हो रही है. पदाधिकारी शहर की एक-दो प्रमुख दवा दुकानों को छोड़ और कहीं निगरानी नहीं कर पा रहे हैं. धनबाद के तीन ड्रग इंस्पेक्टर स्वप्न निखिल, अर्चना व अमित कुमार हैं. वहीं बोकारो के ड्रग इंस्पेक्टर पूनम, रंजीत चौधरी व डॉ आरएस बेसरा हैं.
कार्रवाई के बाद भी चल रही दुकान : प्रमंडलीय अधिकारियों ने धनबाद के सात दवा दुकानदारों का लाइसेंस रद्द कर दिया था. इसमें सेंट्रल अस्पताल के निकट व धैया के पास की दवा दुकान भी शामिल है. इसके बाद भी ये दवा दुकान बेरोक टोक चल रही है. जिले के ड्रग इंस्पेक्टर भी इससे अनभिज्ञ हैं. वहीं दवा दुकानदारों को दुकान के आगे लाइसेंस नंबर लिखने का मुख्यालय ने आदेश दिया था, लेकिन इसका भी पालन जिले में नहीं हो रहा है.
दुकानों का रूटीन के तहत निरीक्षण किया जा रहा है. कुछ दुकानों के लाइसेंस रद्द किये गये थे. हालांकि वे दवा फिर से बेच रहे हैं इसकी सूचना नहीं है. इन दुकानों का निरीक्षण किया जायेगा.
अमित कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर